Rajasthan Politics: बीजेपी में संगठन नियुक्ति पर घमासान! पहले मंडल पर मचा कलह, अब जिला अध्यक्ष पर भी विवाद

Madan Rathore: प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ अभी भी पुरानी टीम के साथ ही काम कर रहे हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में वह अपनी टीम को मजबूत कर सकते हैं.

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Rajasthan BJP: राजस्थान में बीजेपी संगठन में नियुक्तियों पर अंदरूनी कलह जारी है. मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति सूची जारी होने के बाद राजसमंद में रोक लग गई तो वहीं, कई जगह अभी भी लिस्ट का इंतजार है. हालांकि यह मामला सिर्फ मंडल अध्यक्ष तक सीमित नहीं है. पार्टी को अब जिलाध्यक्षों के चुनाव में भी अंतर्विरोधों का सामना करना पड़ रहा है. इसी वजह से संगठन प्रक्रिया में भी काफी देर हो गई है. संगठन नियुक्ति का यह पूरा कार्यक्रम एक महीने पीछे चल रहा है. बीजेपी को पिछले साल 30 दिसंबर तक जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा करनी थी. इसके बाद 15 जनवरी तक प्रदेशाध्यक्ष का निर्वाचन होना था. लेकिन अभी 39 जिलाध्यक्षों के चुनाव की घोषणा बाकी है. जानकारी के मुताबिक 31 जनवरी तक जिलाध्यक्ष का चुनाव संपन्न होना प्रस्तावित है. 

यह था शेड्यूल, लेकिन विवाद ने भी बढ़ाई परेशानी!

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बूथ और मंडल स्तर के चुनाव के बाद भाजपा को 10 जनवरी तक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करनी थी. जबकि बीजेपी में बूथ अध्यक्ष और उसके सदस्यों का निर्वाचन 5 दिसंबर तक करना था. वहीं, 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्ष और 30 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों की डेडलाइन रखी गई थी.  

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प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ अभी भी पुरानी टीम के साथ ही काम कर रहे हैं. उन्हें साल 2022 यह जिम्मेदारी दी गई थी. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में वह अपनी टीम को मजबूत कर सकते हैं. नियुक्ति को 2028 में व‍िधानसभा और 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, पार्टी ऐसे चेहरों को जिम्मेदारी सौंपना चाहती है, जो आगामी चुनावों तक एक्‍टिव रहकर काम करें. साथ ही ऐसे नेताओं के नामों की भी छंटनी होगी,  जिनके पास दोहरी जिम्मेदारियां हैं. 

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राजसमंद में 14 मंडल अध्यक्षों की लिस्ट हुई थी जारी, फिर नियुक्ति पर लगी रोक

राजसमंद में विरोध के बाद बीजेपी को 14 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति रोकनी पड़ी थी. बीजेपी (BJP) प्रदेश सहसंयोजक योगेंद्र सिंह तंवर ने नियुक्ति को रोकने का आदेश जारी किया. दरअसल, पार्टी की प्रदेश अपील समिति के सामने नवनिर्वाचित मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियों के खिलाफ अपील की गई थी. जिस पर विचार-विमर्श करने के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया.

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