Rajasthan Politics: बेनीवाल का रिछपाल मिर्धा पर पलटवार, बोले-उनकी तबीयत आजकल ठीक नहीं रहती

Rajasthan Politics: सांसद हनुमान बेनीवाल ने  रिछपाल मिर्धा पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि वे महिलाओं की मौजूदगी में स्टे पर अशोभनीय बातें बोल सकते हैं तो वो कुछ भी बोल सकते हैं. 

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Rajasthan Politics: खींवसर के उपचुनाव के नजदीक आते ही भाजपा और रोलपा के नेताओं के बीच बयानबाजी शुरू हो गई. बीजेपी की बैठक में रविवार (15 सितंबर) को डेगाना के पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा ने कहा कि अगर इस बार हनुमान बेनीवाल नहीं हारे तो 'अमर बकरा' हो जाएंगे. 

बेनीवाल बोले-मेरा गठबधंन केंद्र में है 

मिर्धा के इस बयान पर सांसद हनुमान बेनीवाल ने मीडिया से कहा कि आजकल उनकी तबियत ठीक नहीं रहती है. वो कुछ भी बोल सकते हैं. उन्होंने कहा कि बीमार की बातों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. वे महिलाओं की मौजूदगी में स्टेज पर अशोभनीय बातें बोल सकते हैं तो वो कुछ भी बोल सकते हैं. गठबंधन पर उन्होंने कहा कि मेरा गठबंधन केंद्र में है. राजस्थान में नहीं. उन्होंने कहा किसी भी कांग्रेसी नेता को गाली नहीं दी. पायलट और डोटासरा से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है. 

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खींवसर उपचुनाव पर बैठक 

खींवसर उपचुनाव को लेकर रविवार (15 सितंबर) को लालावास के हनुमान मंदिर में बैठक हुई थी. बैठक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल और प्रदेश सह प्रभारी विजया राहटकर भी मौजूद रहीं. बैठक में  रिछपाल मिर्धा ने कहा, जो आदमी चुनाव नहीं हारता है और जनता उसे नहीं हराती है, उसे 'अमर बकरे' की उपाधि दी जाती है.  रिछपाल मिर्धा बीजेपी की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के चाचा हैं. 

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"जनता बालियां लाकर उसके कानों में पहनाएगी?"

वहां मौजूद किसी ने रिछपाल मिर्धा से पूछा कि अगर इस बार हनुमान बेनीवाल चुनाव नहीं हारते हैं तो आप लोग क्या करोगे? इस पर रिछपाल मिर्धा बोले, "मैं उसे 'अमर बकरे' की उपाधि दूंगा. क्योंकि फिर वह अमर हो जाएगा. अब यह जनता के हाथ में है कि उसको अमर रखना है या क्या करना है. 'अमर बकरा' उसे कहते हैं जो गांव में घूमता है, बड़ा लंबा तगड़ा होता है और उसके कानों में सोने की बालियां भी होती हैं. अब जनता बाजार से वह बालियां लाकर उसके कानों में पहनाएगी या नहीं, यह देखने वाली बात होगी. अब सब जनता के हाथ में है. मैं कैसे बता सकता हूं, उसको अमर रखना है या नहीं रखना है? जनता ही उसको कुड़क डालेगी, मंदिर छोड़ेगी या कांकड़ में, यह जनता का निर्णय होगा."

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