Rajasthan Politics: क्या गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस में तीसरी शक्ति के रूप में उभर रहे हैं?

Lok Sabha Election 2024: गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में लड़े गए दरियाबाद के उपचुनाव में बीजेपी की जमानत जप्त हो जाती है और इसके बाद अखबारों की सुर्खियों से लेकर चाय की थडियों तक, गहलोत और पायलट के अलावा डोटासरा का नाम भी लिया जाने लगता है.

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Rajasthan News: राजस्थान को राजनैतिक खबरों के लिहाज से देशभर में 'सुखे प्रदेश' के रूप में जाना जाता था. लेकिन बीते 5 वर्षों में राजस्थान की राजनीति ने वो रंग दिखाए जो किसी भी राज्य की राजनीति में अब तक नहीं नजर नहीं आए. चाहे फिर वो सत्ता के लिए अपनों से बगावत की बात हो, या फिर दबाव में दिए गया इस्तीफा प्रकरण हो. विधायकों की खरीद फरोख्त से लेकर उनके दल बदल जैसे कई राजनीतिक घटनाक्रमों से प्रदेश की राजनीति ने देशभर में सुर्खियां बटोरी. लेकिन इसका खामियाजा कांग्रेस को सत्ता गवांकर भुगतना पड़ा. वर्तमान में प्रदेश में भाजपा का शासन है. ऐसे में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है और फिलहाल देश भर में लोकसभा चुनाव जारी हैं. इस बार राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर कड़ी टक्कर मानी जा रही है. आखिर क्या वजह कि जो कांग्रेस लगातार दो बार से 25 सीटें हारती आई है वो इस बार अच्छी खासी स्थिति में नजर आ रही है?

वैसे तो कांग्रेस के सत्ता में रहने के बाद चुनावी परिणाम हमेशा से ही अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन वर्ष 2020 में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है और उनके नेतृत्व में हुए उपचुनाव व निकाय चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करके उभरती है. डोटासरा के नेतृत्व में लड़े गए दरियाबाद के उपचुनाव में बीजेपी की जमानत जप्त हो जाती है और इसके बाद अखबारों की सुर्खियों से लेकर चाय की थडियों तक, गहलोत और पायलट के अलावा डोटासरा का नाम भी लिया जाने लगता है. लेकिन इस बदलाव को समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे लेकर चलते हैं. क्योंकि बीते 26 सालों में अब तक जो नहीं हुआ था, वह गोविंद सिंह डोटासरा के कार्यकाल में हुआ. 

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अध्यक्ष बदलते गए, सिमटती रही कांग्रेस

पूर्व अध्यक्षों की बात करें तो 1998 के चुनाव में कांग्रेस 156 सीटे जीतकर सरकार बनाती है. लेकिन इसके बाद 2003 के चुनाव के समय कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष गिरिजा व्यास होती है और कांग्रेस केवल 56 सीटों पर सिमट जाती है. ऐसे में करीब 100 सीटों का नुकसान कांग्रेस को होता है. इसके बाद 2008 से 2013 तक कांग्रेस फिर से सत्ता में आती है और डॉ चंद्रभान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हैं. इनके नेतृत्व में 2013 का चुनाव लड़ा जाता है, जहां कांग्रेस केवल 21 सीटों पर सिमट जाती है. वर्ष 2013 के बाद सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष चुना जाता है और इस दौरान पायलट के सामने वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव आ जाता है, जहां कांग्रेस 25 की 25 लोकसभा सीटे हार जाती है. लेकिन सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष रहते हैं. कांग्रेस वर्ष 2018 में सत्ता में तो आ जाती है, लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पायलट के अध्यक्ष रहते फिर से कांग्रेस 25 सीटे गंवा देती है. सचिन पायलट वर्ष 2018 से 2020 तक उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते हैं, लेकिन जुलाई 2020 में हुए मानेसर कांड के बाद गोविंद सिंह डोटासरा को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जाती है.

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डोटासरा के आते ही बदल गए आंकड़े

कांग्रेस ने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा, जहां कांग्रेस ने बीते 26 सालों में जो नहीं हुआ वो परिपाटी कांग्रेस ने इस चुनाव में तोड़ी. बीते कई चुनाव में कांग्रेस सत्ता में रहने के बाद 70 विधायक अब से पहले कभी जीतकर नहीं आए. ऐसे में इन 26 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब किसी पीसीसी चीफ के नेतृत्व में 70 विधायक जीतकर आए हों. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा पूरे प्रदेश की 25 सीटों पर चुनाव प्रचार में पहुंचे और संगठन के साथ-साथ स्थानीय नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करके पार्टी को मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया. कहा जा रहा है कि कांग्रेस करीब एक दर्जन सीटों पर मजबूत स्थिति में है. ऐसे में अगर कांग्रेस जहां दो बार से 25 की 25 लोकसभा सीटे हारती आ रही है, तो इस बार अगर 5 से 8 सीटे भी जीतकर आती है तो कहीं ना कहीं डोटासरा का राजनीतिक कद और बढ़ जाएगा.

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डोटासरा ने संगठन में क्या बदलाव किए?

गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस के उदयपुर संकल्प पत्र को धरातल पर उतरने का काम किया. इसे लागू करने वाला राजस्थान पहला राज्य बना. वहीं पूरे प्रदेश में 2200 नए मंडल स्थापित किये, जिससे कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस से नए कार्यकर्ता जुड़े. लंबे समय से एक ही पद जमे हुए पदाधिकारी को बदलकर नए लोगों को मौका दिया. कांग्रेस के अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी को पीसीसी में नई जिम्मेदारी दी गई. कांग्रेस के महिला मोर्चा को मजबूती देने का काम किया. महिलाओं के माध्यम से कांग्रेस ने डोर टू डोर कैंपेनिंग किए. और भी ऐसे कई काम डोटासरा ने किए जिससे राजस्थान में कांग्रेस संगठन को मजबूती मिली.

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