Rajasthan Politics: "मैं फोन टेप की स्‍पीड से ज्‍यादा तेज दौड़ता हूं, मुझे पकड़ नहीं पाएंगे", क‍िरोड़ी मीणा बोले- इस्‍तीफा स्‍वीकार नहीं क‍िया 

Rajasthan Politics:  कैबिनेट मंत्री क‍िरोड़ी लाल ने कहा, "मेरे लिए कोई लक्ष्मण रेखा नहीं है. पिछली सरकार में 18 में से 17 पेपर लीक हुए, लेकिन सरकार कुंडली मारकर बैठी रही. मैंने मामले को उठाया."

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राजस्‍थान सरकार में कृष‍ि मंत्री क‍िरोड़ी लाल मीणा.

Rajasthan Politics: कृष‍ि मंत्री क‍िरोड़ी लाल मीणा सोमवार (17 मार्च) को तेल‍ियाबास नौगावां में राजा हसन खां मेवाती के 499वें शहादत द‍िवस के कार्यक्रम में शाम‍िल हुए. इससे पहले उन्होंने कहा, "मैं फोन टेप की स्‍पीड से ज्‍यादा तेज दौड़ता हूं, इसल‍िए वे मुझे कपड़ नहीं पाएंगे. 9 महीने हो गए सरकार ने मेरा इस्‍तीफा स्‍वीकार नहीं क‍िया है, इसल‍िए अब मैं न‍ियम‍ित रूप से अलवर आऊंगा. मेवात और नॉन मेवात में घूमकर असल‍ियत का पता लगाऊंगा." 

"सरकार तक अपनी बात पहुंचाता रहूंगा"

क‍िरोड़ी लाल मीणा ने कहा, "मैं हमेशा आपकी बात सरकार तक पहुंचाता रहा हूं और आगे भी पहुंचाता रहूंगा. प‍िछली सरकार में 18 में से 17 पेपर लीक हुए, लेक‍िन सरकार कुंडली मारकर बैठी रही. मैंने इस मामले को उठाया तो कार्रवाई हुई. अब तक 50 सब-इंस्‍पेक्‍टर और 35 अन्‍य लोगों को ग‍िरफ्तार क‍िया जा चुका है. प‍िछले राज के और कुछ हमारे छुटभैया लोग गोरखधंधा (काली कमाई) कर रहे हैं, ज‍िससे अलवर शहर त्रस्‍त है."

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गांव के लोग बोले- पुल‍िस वाले परेशान करते हैं 

गांव के लोगों ने मंत्री क‍िरोड़ी लाल से मुलाकात की. उन्होंने बताया क‍ि पूर्व एसएचओ और पुल‍िसकर्मी प्रताड़‍ित कर रहे हैं. पुल‍िस आए द‍िन घरों से युवकों को उठा लेती है. कुछ दलाल बिचौलिए के रूप में सक्रिय हैं, सौदेबाजी कर पुलिस तक रुपए पहुंचाते हैं और फिर युवकों को छुड़वा लेते हैं.  इस पर मंत्री ने इसको निष्पक्ष जांच करवाने का आश्वासन दिया. 

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मंत्री बोले- 15 साल बाद आप सभी के बीच आया हूं 

मंत्री डॉ. क‍िरोड़ी लाल मीणा तेल‍ियाबास में मृतक बाल‍िका के घर जाकर पर‍िजनों से म‍िले. उन्होंने कहा क‍ि 15 साल बाद आप सभी के बीच आया हूं. इससे पहले गोपालगढ़ में मस्‍ज‍िद में फायर‍िंग हुई थी, ज‍िसमें 9 लोगों की मौत हुई थी. शवों को तालाब में फेंक दिया गया था. पूरी मस्‍ज‍िद लहूलुहान हो गई थी. गहलोत सरकार के राज में यह देश की पहली अन्यापपूर्ण घटना थी.  उस लड़ाई को समुदाय के लोगों के साथ मिलकर मजबूती से लड़ा. इसके परिणामस्वरूप भरतपुर के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को सस्पेंड किया गया. तत्कालीन गृहमंत्री शांति धारीवाल को इस्तीफा देना पड़ा था. 

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