Rajasthan: बिना बिजली के AC जैसा ठंडा कमरा, चूरू में आधुनिक इमारतों को मात दे रहीं देसी झोपड़ियां

देसी अंदाज़ में बनी ये झोपड़ियां दिखने में जितनी सुंदर होती हैं, उतनी ही आरामदायक भी साबित होती हैं. यहां पल बिताना किसी एसी रूम से कम नहीं होता. यहां न तो प्रदूषण का खतरा है और न ही बिजली का भारी-भरकम बिल का बोझ.

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देसी 'AC रूम' में बैठी एक महिला.

Desi Hut In Rajasthan: बदलते दौर में जहां शहरों में ऊंची-ऊंची इमारतें, अपार्टमेंट और आलीशान मकान देखने को मिलते हैं, वहीं इन आधुनिक ठिकानों में सुख-सुविधाओं की भरमार के बावजूद शांति का अभाव साफ झलकता है. इसके उलट गांवों में आज भी लोग खेतों और ढाणी में बनी कच्ची-पक्की झोपड़ियों में रहते हैं, जो सादगी भरी होते हुए भी मन को शांति देती हैं.

इन झोपड़ियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्हें पूरी तरह प्राकृतिक चीजों से तैयार किया जाता है. ऊपर से नीचे तक हर हिस्सा खेतों और प्रकृति से जुड़ी सामग्री से सजा होता है. यही कारण है कि ये झोपड़ियां बिना बिजली और बिना किसी खर्च के गर्मियों में प्राकृतिक रूप से ठंडी और सर्दियों में गर्माहट देने वाली होती हैं. यहां बैठने पर लोगों को ठंडी हवा, ताज़गी और सुकून का अहसास होता है.

ये झोपड़ियां दिखने में जितनी सुंदर

देसी अंदाज़ में बनी ये झोपड़ियां दिखने में जितनी सुंदर होती हैं, उतनी ही आरामदायक भी साबित होती हैं. यहां पल बिताना किसी एसी रूम से कम नहीं होता. यहां न तो प्रदूषण का खतरा है और न ही बिजली का भारी-भरकम बिल का बोझ. किसान और ग्रामीण अपने इस ''प्राकृतिक एसी रूम'' को ही असली राहत और चैन का ठिकाना मानते हैं.

ग्रामीण जीवनशैली का जीवंत उदाहरण

आज के समय में जब कंक्रीट की इमारतें और आधुनिक निर्माण तेजी से बढ़ रहे हैं, तब भी चूरू की ये झोपड़ियां पर्यावरण संरक्षण, देसी परंपरा और ग्रामीण जीवनशैली का जीवंत उदाहरण बनी हुई हैं. यह सिर्फ एक घर नहीं बल्कि प्रकृति से जुड़ने और मन को शांति देने का ठिकाना है, जहां आधुनिकता की चकाचौंध भी फीकी पड़ जाती है.

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