राजस्थान में विद्यालयों के एकीकरण आदेशों पर राजस्थान शिक्षक संघ (राधाकृष्णन) ने आपत्ति जताई. साथ ही सरकार से मांग की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए. शिक्षक संगठन का कहना है कि जिन विद्यालयों की छात्र संख्या अधिक है, जो बालिकाओं या अल्प भाषाई समुदाय के लिए आरक्षित हैं, उन्हें मर्ज करने के आदेशों से मुक्त किया जाए. इन स्कूलों को छात्रहित और सामाजिक समावेशन की दृष्टि से आवश्यक भी बताया.
शून्य नामांकन वाले स्कूलों के मर्ज पर आपत्ति नहीं
संगठन का कहना है कि अगर शून्य या 10 तक के नामांकन वाले स्कूलों को पास के स्कूलों में मर्ज किया जाता है तो उसमें किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है. लेकिन हाल ही में जारी आदेशों में कई ऐसे विद्यालयों को भी मर्ज किया गया है, जिनकी छात्र संख्या पर्याप्त है या वे विशिष्ट वर्गों जैसे बालिकाओं या अल्प भाषाई समुदाय के लिए आरक्षित हैं.
कई स्कूलों को छात्रों की पर्याप्त संख्या के बावजूद किया मर्ज
प्रदेश अध्यक्ष विजय सोनी ने उदाहरण देते हुए बताया कि अजमेर के उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय होलीदड़ा को ओसवाल जैन स्कूल में मर्ज कर दिया गया है. ऐसे ही सिंधी देहलीगेट स्कूल को केंद्रीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है. नवाब का बेड़ा विद्यालय को डिग्गी लोकल में मर्ज किया गया है. पदाधिकारी का कहना है कि इन विद्यालयों में छात्र संख्या भी पर्याप्त है.
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