Rajasthan: जैसलमेर में फिर मिलीं डायनासोर जीवाश्म की निशानियां, वैज्ञानिक और स्थानीय लोग उत्साहित

Jaisalmer News: अगर मेघा गांव में मिले ये अवशेष डायनासोर के साबित होते हैं तो यह जैसलमेर में डायनासोर जीवाश्मों की पाँचवीं खोज होगी. फिलहाल झील क्षेत्र को जिला प्रशासन ने सील कर दिया है और वैज्ञानिकों की टीम के आने तक सुरक्षा व्यवस्था की गई है. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
स्थानीय भूवैज्ञानिक नारायण दास इंखिया ने स्थल का दौरा किया है.

Jaisalmer News: जैसलमेर ज़िले के फतेहगढ़ क्षेत्र के मेघा गांव में डायनासोर जीवाश्म जैसी आकृतियां मिलने से इलाके में उत्साह का माहौल है. माना जा रहा है कि यह जैसलमेर में डायनासोर से जुड़े जीवाश्मों की पांचवीं खोज हो सकती है. बुधवार को गांव की एक झील की सफाई और गहरी खुदाई के दौरान ग्रामीणों को हड्डियों और पत्थरों पर बने अजीबोगरीब निशान दिखाई दिए. सबसे पहले गांव के निवासी श्याम सिंह ने इन अवशेषों की जानकारी प्रशासन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को दी.

श्याम सिंह ने NDTV से बातचीत में कहा, ''झील में हमें कंकाल जैसी संरचना और पत्थरों पर छाप दिखाई दी. मुझे लगा यह प्राचीन जीवाश्म हो सकते हैं. मैंने तुरंत प्रशासन और एएसआई को सूचना दी. एसडीएम मौके पर आए और सर्वे किया. झील के अंदर कंकाल जैसी संरचना है जो डायनासोर या किसी अन्य जीव की रीढ़ की हड्डी जैसी लगती है.'' 

संरचना है जो डायनासोर या किसी अन्य जीव की रीढ़ की हड्डी जैसी लगती है.

एक अन्य ग्रामीण राम सिंह भाटी ने बताया कि गांव वाले झील की सफाई और खुदाई कर रहे थे तभी उन्हें लंबे आकार का कंकाल और जीवाश्म मिले. देखने में यह डायनासोर के अवशेष और पत्थर जैसे लगे. हमने तस्वीरें खींचकर जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को भेजीं, जिसके बाद टीम यहां सर्वे के लिए पहुंची.

क्या कहते हैं भूवैज्ञानिक? 

स्थानीय भूवैज्ञानिक नारायण दास इंखिया ने स्थल का दौरा किया और NDTV से विशेष बातचीत में कहा कि बहुत संभव है कि यह डायनासोर के जीवाश्म हों. इनका आकार मध्यम है और यहां पंख जैसे अवशेष भी दिख रहे हैं. हालांकि वैज्ञानिक पुष्टि तभी होगी जब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) की टीम अध्ययन करेगी. जैसलमेर की चट्टानें लगभग 18 करोड़ साल पुरानी हैं. जुरासिक काल में यह इलाका डायनासोर के अस्तित्व का हिस्सा रहा होगा.''

Advertisement

स्थानीय भूवैज्ञानिक नारायण दास इंखिया ने स्थल का दौरा किया है.

जैसलमेर में पहले भी मिल चुके हैं  डायनासोर के जीवाश्म

गौरतलब है कि जैसलमेर में इससे पहले भी डायनासोर के जीवाश्म मिल चुके हैं. पहली बार थियात गांव में हड्डियों के जीवाश्म मिले थे. उसके बाद यहां डायनासोर का पदचिह्न (footprint) खोजा गया और वर्ष 2023 में डायनासोर का अंडा भी सुरक्षित स्थिति में मिला था. अगर मेघा गांव में मिले ये अवशेष डायनासोर के साबित होते हैं तो यह जैसलमेर में डायनासोर जीवाश्मों की पाँचवीं खोज होगी. 

यह भी पढ़ें- जेब में रखे नोट बना सकते हैं आपको बीमार! रिसर्च में 5 तरह के खतरनाक फंगस और 4 बैक्टीरिया मिले

Advertisement