Rajasthan: राजस्थान की किताबों में गलत GK पढ़ रहे हैं लाखों स्टूडेंट्स, एक्सपर्ट्स बोले- इससे नकारात्मक असर पड़ेगा

Ajmer News: विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही जानकारी गलत रहेगी तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan textbooks wrong facts: राजस्थान में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की घोषणा के बाद जिलों की संख्या बढ़कर 33 से 50 हो गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 17 मार्च 2023 को विधानसभा में घोषणा कर 17 नए जिलों के गठन का ऐलान किया था. दिसंबर-2024 में राज बदला और फिर बीजेपी सरकार ने 9 जिलों को समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया. वर्तमान में प्रदेश में कुल जिले 41 रह गए हैं. लेकिन स्कूलों की किताबों में यह संख्या अभी भी 33 ही है. राजस्थान के लाखों स्कूली बच्चों को गलत जानकारी पढ़ाई जा रही है. कक्षा 6, 7 और 8 की 'हमारा राजस्थान' पुस्तक में अब भी केवल 33 जिलों का ही जिक्र है.

RSCRT और बोर्ड की लापरवाही आई सामने

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (आरएसईईआरटी) और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से अब तक ठोस पहल नहीं हुई. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में हमारा राजस्थान की लगभग 2 लाख 94 हजार किताबें छापी गई थीं. संशोधन की धीमी प्रक्रिया के कारण 2024-25 में भी छात्रों के हाथों में वही पुरानी पुस्तकें पहुंच गईं.

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विशेषज्ञ बोले- प्रशासनिक ढांचे की सही जानकारी पहुंचना जरूरी

विशेषज्ञों का कहना है कि जिलों की संख्या और प्रशासनिक ढांचे की जानकारी छात्रों के सामान्य ज्ञान का अहम हिस्सा है. अगर यही जानकारी गलत या पुरानी रहेगी तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा. ऐसे में छात्र वास्तविक स्थिति से भटक सकते हैं.

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सरकार का कहना है कि 2025 के नए सत्र से पहले अपडेटेड किताबें लाई जाएंगी. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पिछले दो साल के दौरान इस दिशा में गंभीर प्रयास क्यों नहीं हुए?

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पाठ्यपुस्तक मंडल ने दिया यह जवाब

पाठ्य पुस्तक मंडल के प्रभारी रतिराम बेनीवाल ने किताबों के मुद्दे पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पूर्व के टेंडर के अनुसार ही पुस्तकें पहले से प्रिंट हो चुकी थीं. वर्तमान में सभी को निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों को 33 जिलों की जगह 41 जिलों की जानकारी पढ़ाई जाए. पुस्तकों में केवल एक ही स्थान पर करेक्शन किया जाना है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि सिलेबस की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू होती है, जब कमेटी रिपोर्ट बनाकर प्रिंटर को सीडी उपलब्ध कराई जाती है. सिलेबस की ड्राफ्टिंग माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा की जाती है. फिलहाल बोर्ड में चेयरमैन नहीं है. इसके चलते नए सिलेबस पर ड्राफ्टिंग का कार्य तो चल रहा है, लेकिन जब तक चेयरमैन निर्णय नहीं लेंगे, तब तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सकेगा.

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