Rajasthan: दर-दर की ठोकर खा रहा अंग दान कर तीन लोगों की जिंदगी बचाने वाले भूरिया का परिवार, नहीं मिला कोई लाभ 

झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में 24 फरवरी 2024 को पहले अंगदान सफलतापूर्वक करवाया गया था. जिसके बाद झालावाड़ और झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को एक नई पहचान मिल पाई. इस अंगदान के लिए झालावाड़ में एक समर्पित टीम ने असाधारण प्रयास किया था.

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अंगदान करने वाले भूरिया का परिवार

Jhalawar News: अंगदान कर तीन लोगों को नई जिंदगी देने वाले अंगदानी (ब्रेनडेड) भूरिया कंजर का परिवार आर्थिक सहायता के लिए ठोकरे खाने को मजबूर है. भूरिया का परिवार कहता है कि जिस समय भूरिया का अंगदान हुआ था तब उनको प्रोत्साहित करने वाली जिला प्रशासन की टीम ने भूरिया के परिवार को कई सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने की बात कही थी, लेकिन अब तक किसी भी योजना का लाभ उनको नहीं मिला है.

प्रशासन ने नहीं निभाया वादा 

झालावाड़ जिले के बामन देवरिया निवासी भूरिया कंजर की पत्नी संजू बाई ने बताया कि ब्रेनडेड हुए उसके पति भूरिया कंजर का अंगदान उसके परिजनों ने प्रशासन और मेडिकल टीम की समझाइश के बाद करवाया था. जो जिले का पहला अंगदान था. संजू बाई ने बताया कि झालावाड़ अस्पताल में 24 फरवरी 2024 को अंगदान किया गया था. तब उसके परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने की बात कही गई थी, लेकिन इसके बाद से ही परिवार को कोई सहायता नहीं मिली. यहां तक कि विधवा पेंशन भी चालू नहीं हुई. उसके तीन बेटे और एक बेटी है. 

कलेक्टर को लगाई गुहार 

भूरिया कंजर का परिवार सहायता के लिए गुहार लगाने झालावाड़ के मिनी सचिवालय स्थित जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचा. जहां उनके परिवार के सदस्य नारायण सिंह ने बताया कि अंगदान करने वाला भूरिया कंजर अकेला कमाने वाला था. ऐसे में उसके बाद‌ परिवार को चलाने के लिए परिवार को आर्थिक सहायता और सरकारी योजनाओं के लाभ की आवश्यकता है.

अंगदान से झालावाड़ को मिली अलग पहचान

झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में 24 फरवरी 2024 को पहले अंगदान सफलतापूर्वक करवाया गया था. जिसके बाद झालावाड़ और झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को एक नई पहचान मिल पाई. इस अंगदान के लिए झालावाड़ में एक समर्पित टीम ने असाधारण प्रयास किया. 

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प्रदेश के 3 लोगों को मिला था जीवनदान

ब्रेन डेड मरीज से किडनी, लिवर और कॉर्निया प्राप्त किए थे. इनमें से एक किडनी और लिवर सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर और एक किडनी एम्स जोधपुर को आवंटित हुई थी. चार एम्बुलेंस के माध्यम से इन अंगों को जयपुर और जोधपुर पहुंचाया था. इस तरह भूरिया इस तरह तीन लोगों को जीवनदान दे गए थे.