Rajasthan: आदिवासी बहुल इलाके बांसवाड़ा-डूंगरपुर, उदयपुर में आरक्षण बचाने के मुद्दे ने पकड़ ली जमीन ! राष्ट्रीय मुद्दे हवा हुए 

भारत आदिवासी पार्टी ने पहले दिन से ही जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की मांग को जोर जोर से उठाना शुरू कर दिया और साथ ही भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जीतते हैं तो संविधान खतरे में पड़ जाएगा और यहां के युवा को नौकरियां नहीं मिलेंगी.

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Mewar Politics: लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव होंगे और इसके लिए प्रचार प्रसार चरम पर पहुंच गया है. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी महेंद्रजीत सिंह मालवीया और बागीदौरा विधानसभा उप चुनाव के प्रत्याशी सुभाष तंबोलिया के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  चुनावी सभा को संबोधित करेंगे. तो वहीं दूसरी तरफ भारत आदिवासी पार्टी अपने प्रत्याशी के समर्थन में छोटी-छोटी सभाओं का आयोजन कर लोगों से संपर्क किया जा रहा है. 

राष्ट्रीय मुद्दे नहीं चर्चा में, स्थानीय मुद्दों पर परिचर्चा

भारतीय जनता पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर महेंद्रजीत सिंह मालवीया को उतारा है तो वहीं भारत आदिवासी पार्टी ने चौरासी विधायक राजकुमार रोत को खड़ा किया है. कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी अरविंद डामोर ने नामांकन पत्र वापस नहीं लिया जिससे यह मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

भारत आदिवासी पार्टी ने पहले दिन से ही जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की मांग को जोर जोर से उठाना शुरू कर दिया और साथ ही भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जीतते हैं तो संविधान खतरे में पड़ जाएगा और यहां के युवाओं को नौकरियां नहीं मिलेंगी.

उसके बाद राजस्थान में भाजपा के सभी राष्ट्रीय नेताओं ने हर सभा में कहा कि, आरक्षण को कोई हाथ नहीं लगाएगा. प्रधान मंत्री मोदी ने तो यहां तक कह दिया, ' खुद अम्बेडकर आ जाएं तब भी आरक्षण का कुछ नहीं होगा'. लेकिन ज़मीनी स्तर की बात की जाए तो आदिवासी अंचल में आरक्षण खत्म करने का मुद्दा ज़मीनी स्तर पर पहुंच गया है. इससे पार पाना भाजपा के लिए मुश्किल होता जा रहा है. 

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जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे यह मुद्दा हावी होने लगा और भाजपा की ओर से उठाए गए धारा 370 हटाने, राम मंदिर निर्माण और तीन तलाक जैसे राष्ट्रीय मुद्दे गौण होने लगे. इस पर भाजपा को भी क्षेत्रीय मुद्दों पर आना पड़ा और उन्होंने भी इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की. 

जनाधार खिसकने का डर सताने लगा

आरक्षण का मुद्दा जनजाति क्षेत्र के युवाओं में एक बड़ा मुद्दा बनने के बाद भाजपा के  स्थानीय नेताओं ने इसको गंभीरता से लिया और अपने भाषणों में इस पर बात करना शुरू किया और युवाओं को आश्वस्त करने का प्रयास किया की किसी भी कीमत पर संविधान में संशोधन नहीं होगा और आरक्षण बदुस्तर जारी रहेगा. संभावना है कि आज होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के दौरान भी वह इस बात को यहां के लोगों के सामने रखेंगे जिससे पार्टी को नुकसान नहीं झेलना पड़े.

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