Jaisalmer Tourism: राजस्थान में दिसंबर तक पर्यटकों की आवाजाही खूब नजर आती है. त्योहारी सीजन के साथ शुरू हुई पर्यटकों की आवाजाही अगले 2-3 महीने काफी रफ्तार पकड़ेगी. लेकिन जैसलमेर (Jaisalmer) के व्यवसायी इस बार निराश नजर आ रहे हैं. हर साल नवरात्र के बाद से ही बंगाली सैलानियों की आवक शुरू हो जाती है. लेकिन अब बंगाली सैलानियों का जैसलमेर से मोह भंग हो रहा है. क्योकि इस साल बंगाली सैलानियों की आवक बहुत कम हुई.
जिले का 70-80 फीसदी व्यापार टूरिज्म पर निर्भर
पर्यटन व्यवसायी राजेंद्र गोपा बताते है "इस समय सोनार दुर्ग में इतने बंगाली सैलानी आते थे कि यहां पैर रखने की जगह नही मिलती थी. लेकिन अब हम अपनी दुकानें सजाकर बैठे है और दिनभर में इक्का-दुक्का बंगाली सैलानी देखने को मिल रहे हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका नुकसान तो जैसलमेर के लोगों कों हो रहा है. क्योकि यहां का 70-80 प्रतिशत व्यवसाय टूरिज्म पर निर्भर है.
सत्यजीत रे ने बनाई थी 'सोनार किला' फिल्म, तब से आ रहे हैं बंगाली टूरिस्ट
जैसलमेर में दुर्गा अष्टमी पर दुर्गा पूजन से लेकर दीपावली तक बंगाली टूरिजम का हुजूम उमड़ता है. प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने 'सोनार किला' फिल्म बनाई थी, जिसके बाद से ही बंगाली सैलानी जैसलमेर आना शुरु हुए थे. दरअसल, बंगाली टूरिस्ट के आगमन के साथ सीजन शुरु होती थी, फिर गुजराती व पंजाबी सैलानी आते थे. सीजन के अंत में मरू महोत्सव पर देश व विदेश से सैलानियों का सैलाब उमड़ता था.
कनेक्टिविटी और गर्मी, पर्यटकों की कमी की ये हैं वजह
बंगाली पर्यटकों की संख्या में कमी के पीछे बड़ी वजह कनेक्टिविटी की दिक्कत बताई जा रही है. जबकि इस साल गर्मी भी काफी होने के चलते ऐसा हुआ है, क्योंकि अक्टूबर महीने में भी 37 से 39 डिग्री तापमान दर्ज किया गया है. तीसरी कारण यह भी है कि सैलानियों के जैसलमेर पहुंचने के साथ ही असामाजिक तत्व पर्यटकों को परेशान करना शुरू कर देते हैं.