Rajasthan: एक ही बैच के दो सैंपल के अलग-अलग नतीजे, लेकिन कफ सिरप को लैब जांच रिपोर्ट में मिली क्लीन चिट

एनडीटीवी राजस्थान के पास जांच रिपोर्ट की एक्सक्लूसिव कॉपी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक लैब के अधिकारी है रामबाबू के दस्तखत से जांच रिपोर्ट जारी की गई है.

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Dextromethorphan Syrup: कफ सिरप से कथित मौत के मामले सामने आने के बाद कराई गई जांच में डेक्सट्रोमेथोर्फेन सिरप को क्लीन चिट मिल गई है. सरकार ने जिन सैंपलों की जांच कराई उस मामले में कफ सिरप के सैम्पल ओके पाये गए हैं. दरअसल भरतपुर में पहला मामला आने के बाद ही सरकार ने इस मामले की जांच की तरफ कदम बढ़ा दिए थे. सीकर में दूसरा मामला आने के बाद सभी 21 बैच को रोक दिया गया और सैंपल कलेक्ट करने के साथ ही सरकार की लैब में भेजने के निर्देश दे दिए गए थे.

पहला सैम्पल 29 सितम्बर को भेजा गया था, जिसकी जांच रिपोर्ट चिकित्सा विभाग के पास आ गई है. सरकार की लैब से जो जांच रिपोर्ट आई है, उसमें सभी सैंपल ओके पाए गए हैं. इसका मतलब यह की डेक्स्ट्रोमेथोर्फेन दवा का कोई भी सैंपल सब स्टैंडर्ड यानी अमानक नहीं था. 

एनडीटीवी राजस्थान के पास जांच रिपोर्ट की एक्सक्लूसिव कॉपी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक लैब के अधिकारी है रामबाबू के दस्तखत से जांच रिपोर्ट जारी की गई है. सेठी कॉलोनी की औषधि परीक्षण प्रयोगशाला की तरफ से यह रिपोर्ट दी गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 29 सितंबर 2025 को उनके पास सैंपल आए और आरएमएससीएल यानि राजस्थान मेडिकल सर्विसेज लिमिटेड के क्वालिटी कन्ट्रोल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर की तरफ से यह सैंपल भेजे गए.

दावा की गई दवा की मात्रा में फर्क, लेकिन ओके पाए गए सैंपल 

बैच नम्बर 147 की मैन्युफैक्चरिंग तारीख जून 2025 है, जबकि इसकी एक्सपायरी डेट में मई 2027 की तारीख लिखी गई है. कैसन्स फार्मा की इस दवाई में प्रत्येक पांच एमएल डोज़ में डेक्स्ट्रोमेथोर्फिन हाई ब्रोमाइड की 13.5 एमजी की मात्रा होने का दावा था. इसके फ्लेवर और रंग का जिक्र भी इसमें किया गया है. जांच के बाद जो रिपोर्ट आई है उसमें साफ लिखा गया है दवा में जो मात्रा 13.5 एमजी होने का दावा किया था, वह 13.95 एमजी मिली है. यानी दावा की गई मात्रा से 3.36 फीसदी ज्यादा मात्रा मिली है. इस रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि इसकी अनुमत सीमा 95 से 105 फ़ीसदी के बीच हो सकती है.

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इसी तरह जो बैच नंबर 148 का सैंपल है, उसमें 13.5 एमजी के दावे के मुकाबले 13.45 एमजी दवा मिली है. यह कम्पनी के दावे के मुकाबले 99.65 फीसदी है. बैच नम्बर 250 में दवा की मात्रा 13.22 एमजी मिली है. यानि दावे के मुकाबले इसमें 97.92 फ़ीसदी दवाई है. यह तीनों बैच जयपुर की कम्पनी कैसन्स फार्मा के प्रोडक्शन हैं. 

बैच नम्बर 147 और 148 के दो-दो सैम्पल, दोनों की रिपोर्ट अलग

इस जांच रिपोर्ट में भी बैच नम्बर 147 और 148 के दो-दो सैम्पल जांच के लिए भेजे गए थे और एक ही बैच के दो सैम्पल में जांच के नतीजे भी अलग-अलग दिख रहे हैं.

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बैच नम्बर 147 का जो सैम्पल RMSCL ने भेजा था उसमें दवा की मात्रा 13.95 एमजी यानि दावे का 103.36 फ़ीसदी है. जबकि बैच नम्बर 147 के ही भरतपुर से राजेश कटारा द्वारा भेजे गए सैम्पल में इसकी मात्रा 12.98 mg मिली है. यह दावे का 96.11 फ़ीसदी है. 

बैच नम्बर 148 के भी दो सैम्पल भेजे गए थे. जो सैम्पल RMSCL से भेजा गया था उसमें दवा की मात्रा 13.45 एमजी यानि दावे का 99.65 फ़ीसदी है. जबकि इसी 148 नम्बर बैच का जो सैम्पल सीकर के गजानन्द कुमावत ने भेजा उसमें दवा की मात्रा 13.11 एमजी यानि 97.11 फ़ीसदी है. हालांकि सरकारी लैब की जांच रिपोर्ट में दवा को क्लीन चिट मिल गई है, लेकिन सवाल इस बात का है कि एक ही बैच के दो अलग सैम्पल में दवा की मात्रा अलग-अलग क्यों आ रही है?

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