Rajasthan: उदयपुर के मेनार गांव को मिली रामसर साइट की मान्यता, विश्व में छाया 'बर्ड विलेज' 

Udaipur News: मेनार गांव के लोगों ने तालाबों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाए हैं. यहां अगर कोई व्यक्ति तालाब में गंदगी करता है तो उस पर 5 हज़ार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है.

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Ramsar Site: विश्व पर्यावरण दिवस पर जहां दुनिया भर में भाषण, शपथ और कार्यक्रम होते हैं, वहीं उदयपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर बसे मेनार गांव ने अपने अनुशासन और प्रकृति प्रेम से एक मिसाल कायम की है. यह गांव अब “बर्ड विलेज” के नाम से जाना जाता है और हाल ही में इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड सूची ‘रामसर साइट' में शामिल किया गया है. केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की. साथ ही, राजस्थान के फलोदी स्थित खींचन को भी रामसर साइट का दर्जा मिला है.

हजारों किलोमीटर दूर से आते हैं मेहमान पक्षी

मेनार गांव में ब्रह्म और ढढ नामक दो प्रमुख तालाब हैं. हर साल सर्दियों में हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर देशी और विदेशी प्रवासी पक्षियों की दर्जनों प्रजातियां यहां पहुंचती हैं.

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विदेशी प्रवासी पक्षियों की दर्जनों प्रजातियां यहां पहुंचती हैं

जब यह पक्षी आसमान में चहचहाते हुए उड़ते हैं, तो दृश्य मन मोह लेता है. यहां पैरेग्रिन फाल्कन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, कॉमन क्रेन, ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, टफ्टेड डक, नॉर्दन शोवलर, व्हाइट येलो वेग्टेल्स जैसे दुर्लभ पक्षी देखे जा सकते हैं, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता को दर्शाते हैं.

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पानी की पवित्रता का अनुशासन और सख्त नियम

मेनार गांव के लोगों ने तालाबों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाए हैं. यहां अगर कोई व्यक्ति तालाब में गंदगी करता है तो उस पर 5 हज़ार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है. ग्रामीण सिंचाई के लिए भी तालाब का पानी उपयोग नहीं करते और न ही किसी को इसकी अनुमति देते हैं. मछलियों के संरक्षण के लिए न मछली पकड़ी जाती है, न ही इसका ठेका दिया जाता है. गर्मियों में जब पानी सूखने लगता है, तो ग्रामीण स्वयं टैंकरों के जरिए तालाब में पानी भरते हैं ताकि पक्षियों और मछलियों को सुरक्षित रखा जा सके. यह अनुशासन और समर्पण ही मेनार को एक अंतरराष्ट्रीय उदाहरण बनाता है.

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