Rajasthan: अब खेत की ज़रूरत नहीं, घर की छत पर बिना मिट्टी उगा सकते हैं सब्ज़ियां, राजस्थान के बूंदी में अनोखा प्रयोग

Bundi News: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल केंद्र किसानों को ऐसी तकनीक भी सिखा रहा है, जिससे बिना मिट्टी के पानी में सब्जियों की खेती संभव हो रही है. इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हो रही है और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
अब बिना मिट्टी के उगा सकते हैं सब्ज़ियां

Bundi News: “धान का कटोरा” कहे जाने वाले राजस्थान के बूंदी जिला अब सब्जी उत्पादन में भी अपनी पहचान बना रहा है. यहां स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल किसानों को उन्नत तकनीकों से खेती करने में मदद कर रहा है. इस केंद्र में किसान अपने बीज लाकर पौध तैयार कर सकते हैं या सीधे दो रुपये प्रति पौधे की दर से पौधे खरीद सकते हैं. यदि किसान अपना बीज लेकर आते हैं, तो सिर्फ एक रुपये में उन्हें पौधा उपलब्ध कराया जाता है.

यह केंद्र किसानों को ऐसी तकनीक भी सिखा रहा है, जिससे बिना मिट्टी के पानी में सब्जियों की खेती संभव हो रही है. इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हो रही है और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है.

Advertisement

प्रदेश का पहला सब्जी उत्कृष्टता केंद्र

यह प्रदेश का पहला केंद्र है, जो किसानों को सब्जी उत्पादन की नवीनतम तकनीकों से अवगत करा रहा है. इस केंद्र में हाईब्रिड बीज तैयार किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को ज़्यादा पैदावार मिल सके. जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही खेती के बीच यह तकनीक किसानों के लिए एक समाधान के रूप में उभर रही है. यहां विपरीत मौसम में भी उत्पादन किया जा सकता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है.

Advertisement

इस केंद्र में हाईब्रिड बीज तैयार किए जा रहे हैं

हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती का नया तरीका

केंद्र में हाइड्रोपोनिक तकनीक के माध्यम से बिना मिट्टी के पानी में सब्जियां उगाई जा रही हैं. इस प्रक्रिया में छोटी बाल्टियों में पानी भरकर उनमें ऑक्सीजन मोटर लगाई जाती है, जो पानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है. इसके बाद, पौधों को बाल्टियों के ढक्कनों में छेद करके लगाया जाता है, जिससे उनकी जड़ें सीधे पानी में डूबी रहती हैं. पौधों को सहारा देने के लिए उनके आसपास बालू, मिट्टी और कंकड़ डाले जाते हैं. इस विधि से एक से दो महीने में पौधों की पूरी वृद्धि हो जाती है, और वे फल-फूल कर तैयार हो जाते हैं. इस तकनीक को सीखने के लिए प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आ रहे हैं.

Advertisement

तकनीक का भविष्य और विस्तार

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल के उपनिदेशक दुर्गालाल मौर्य के अनुसार, यह तकनीक अभी छोटे स्तर पर अपनाई जा रही है, लेकिन धीरे-धीरे इसे व्यावसायिक रूप देने की योजना है. जयपुर समेत अन्य शहरों में भी इसे लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिन किसानों के पास खेती के लिए जमीन नहीं है, वे भी अपनी छतों पर इस तकनीक से सब्जियां उगा सकते हैं.

पौधों को बाल्टियों के ढक्कनों में छेद करके लगाया जाता है

इस नवाचार से जलवायु परिवर्तन के कारण खेती पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है. सरकार यदि इस तकनीक पर अनुदान देती है, तो यह किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और जैविक खेती को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकती है.

यह भी पढ़ें - पश्चिमी राजस्थान में अगले 60 दिन नहरबंदी, किसानों को 27 मई तक नहीं मिलेगा सिंचाई का पानी