Rajasthan:14 साल से घर में ही बिजली बना रहा यह किसान, पंखा-कूलर, मोटर-ट्रैक्टर सब में हो रहा बिजली का इस्तेमाल 

किसान का कहना है कि अन्य किसान भी इसी तरह से बायोगैस प्लांट लगाकर कृषि और घरेलू के कार्य करने चाहिए जिससे पैसे की बचत होती है. किस को कभी भी गैस और बिजली की कमी पैदा ही नहीं होगी. उन्होंने बताया कि उनके बायोगैस प्लांट को देखने के लिए देश-विदेश से कई लोग आ चुके हैं और उनके ही मार्गदर्शन में उन्होंने बायोगैस प्लांट लगवाए हैं. उन्हें इस इस कार्य के चलते कई जगह पुरस्कृत भी हो चुके हैं.

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Bharatpur News: यदि आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं. कार्य कितना भी कठिन क्यों न हो , यदि आप कभी हार नहीं मानते, तो अंततः आप सफलता जरूर पाएंगे. एक ऐसा ही कारनामा कर डाला है डीग जिले के बाबेंन गांव के किसान गोपाल सिंह ठाकुर ने. जिसने खुद पर विश्वास किया और करीब 14 साल पहले बायो गैस प्लांट लगाकर घरेलू और कृषि का कार्य कर खुशहाल जीवन जी रहा है. जो कभी बिजली की समस्या से परेशान था.

लेकिन कुछ लोगों से हुई मुलाकात ने उसकी बिजली की समस्या से तो निजात दिलाई ही दी. लेकिन उसकी तकदीर को भी बदल दिया. उसके द्वारा अन्य लोगों को जागरुक कर बायो गैस प्लांट लगाने का कार्य किया जा रहा है. इसे बिजली और गैस की बचत के साथ-साथ कृषि कार्य के लिए शुद्ध जैविक खाद भी बन रहा है.

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14 साल पहले लगाया था बायो गैस 

किशन गोपाल सिंह ठाकुर ने बताया कि गरीब 14 साल पहले गांव में कृषि से जुड़े कुछ अधिकारी आए थे और उन्होंने चौपाल लगाकर किसानों की समस्या के बारे में जानकारी ली तो उसने अधिकारियों को बिजली की समस्या के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि मैं कई सालों से विद्युत कनेक्शन के लिए भटक रहा हूं. लेकिन मेरा कनेक्शन नहीं हुआ है. जिसके चलते मेरे बच्चों को पढ़ाई में बाधा आ रही है. अधिकारियों ने ही उन्हें बायोगैस प्लांट लगाने की सलाह दी और उन्होंने पूरी मदद की अधिकारियों के द्वारा की गई मदद ने उनकी किस्मत बदल दी.

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उन्होंने कहा कि व्यक्ति के मल और पशुओं के गोबर से वह गैस उत्पन्न कर रहे हैं.इसी से बिजली और घरेलू के सभी कार्य चल रहे हैं. जब से यह बायोगैस प्लांट शुरू किया है उस समय से उन्हें बिजली और गैस की कभी कमी पैदा ही नहीं हुई साथ ही पैसे की भी बचत हुई है.

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ऐसे लगाया प्लांट 

उन्होंने कहा कि सबसे पहले गोबर को एकत्रित किया जाता है. उसके बाद एक गड्ढा है. जिसमें गोबर और पानी को मिलाकर घोल बनाकर टैंक में डाला जाता है. जहां से गैस उत्पन्न होती है और उस गैस को पाइप के द्वारा रसोई में भेजा जा रहा है. जहां गैस चूल्हा जलता है और टैंक से निकलने वाली गैस को पाइप के द्वारा अल्टरनेटर से अटैच कर बिजली बनाई जाती है. जिससे कृषि और घरेलू के सभी कार्यों के उपयोग में आ रही है. गैस टैंक से जो कचरा बाहर निकलता है उसे खाद के रूप में कृषि कार्यों के उपयोग में लिया जा रहा है जिससे शुद्ध खेती हो रही है.

गैस और बिजली दोनों हो रही पैदा 

किसान का कहना है कि अन्य किसान भी इसी तरह से बायोगैस प्लांट लगाकर कृषि और घरेलू के कार्य करने चाहिए जिससे पैसे की बचत होती है. किस को कभी भी गैस और बिजली की कमी पैदा ही नहीं होगी. उन्होंने बताया कि उनके बायोगैस प्लांट को देखने के लिए देश-विदेश से कई लोग आ चुके हैं और उनके ही मार्गदर्शन में उन्होंने बायोगैस प्लांट लगवाए हैं. उन्हें इस इस कार्य के चलते कई जगह पुरस्कृत भी हो चुके हैं.