Rajasthan: अलवर के सरिस्का बाघ परियोजना में बाघिन एसटी-2 को राज माता का नाम दिया गया है. सरिस्का डे पर शनिवार को बाघिन राजमाता की मूर्ति का अनावरण वन पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने किया. सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाने में राजमाता का बहुत बड़ा योगदान रहा है. सबसे लंबी उम्र जीने वाली बाघिन है. सरिस्का बाघ परियोजना में बाघिन एसटी-2, जो राजमाता के नाम से जानी जाती है, जिसकी प्रतिमा 2 शावकों के साथ लगाई गई है. एक पार्क भी स्थापित किया गया है. बाघिन और सरिस्का की जानकारी भी दर्शाई गई है. पर्यटकों को उसके जीवन के बारे में बताया जाएगा.
मछली T-16 की बेटी थी एसटी-2
बाघिन एसटी-2 सरिस्का में अपना एक ऐतिहासिक स्थान रखती है. क्योंकि, वह साल 2008 में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से पुन: स्थापित की गई, जो पहली मादा बाघिन थी. अप्रैल 2004 में प्रसिद्ध बाघिन मछली T-16 और बाघ T-2 की संतान के रूप में जन्मी एसटी-2 ने भारत की सबसे प्रतिष्ठित बाघ वंशावली को आगे बढ़ाया.
19 साल जिंंदा थी एसटी-2
19 साल 8 महीने तक जीवित रहकर वह भारत की सबसे अधिक उम्र तक जीवित रहने वाली बाघिन बनी. सरिस्का में बाघों के पूर्ण विलुप्त होने के बाद सबसे पहले शावकों को जन्म देने वाली बाघिन थी, जिसमें यहां बाघो की आबादी को नया जीवन मिला. एसटी-2 के वंशजों की संख्या जो संरक्षण की सफलता का प्रतीक है.
राजमाता एसटी-2 का स्टेच्यू बनाया
सरिस्का सीसीएफ संग्राम सिंह ने मीडिया को बताया कि राजमाता टाइगर की प्रतिमा को भव्य और शानदार स्टैच्यू बनाया गया है. स्टैच्यू में सरिस्का को आबाद करने में राजमाता टाइगर के बारे में जाने सकेंगे. उन्होंने बताया कि 28 जून 2008 को सरिस्का के लिए वैश्विक वन्यजीव बाघ संरक्षण में एक ऐतिहासिक दिन है.
2005 में सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था
वर्ष 2005 में शिकार के कारण सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से एक मेल बाघ को 28 जून, 2008 को सफलतापूर्वक स्थानान्तरण किया गया था. स्थानान्तरण के प्रयास सफल रहने के पश्चात वर्तमान में सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़कर 48 हो गई है.
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