Acharya Satyendra Das: राम मंदिर अयोध्या के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन, 3 फरवरी से लखनऊ PGI में चल रहा था इलाज

Acharya Satyendra Das Passes Away: सत्येंद्र दास ने वर्ष 1992 में बाबरी ध्वंस के समय रामलला की मूर्तियां गोद में लेकर हटाई थी. वे लंबे समय से श्रीराम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी थे.

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आचार्य सत्येंद्र दास का 85 वर्ष की उम्र में ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया.

Acharya Satyendra Das News: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास का बुधवार को लखनऊ पीजीआई में निधन हो गया. वे 85 साल के थे. आचार्य सत्येन्द्र दास को स्ट्रोक आने के बाद 3 फरवरी को गंभीर हालत में लखनऊ के न्यूरोलॉजी वार्ड की हाई डिपेंडेंसी यूनिट में भर्ती कराया गया था. वह न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार की करीबी निगरानी में थे. 4 फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके जाकर मुलाकात की थी. इससे पहले, आचार्य सत्येन्द्र दास को 11 जनवरी को अयोध्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पहली वर्षगांठ मनाते हुए देखा गया था. मुख्य पुजारी ने समारोह को "बहुत सुंदर" बताया था.

सीएम योगी ने बताया अपूरणीय क्षति

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है. विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!'

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50 के दशक में अयोध्या आए थे आचार्य सत्येंद्र दास

सत्येंद्र दास संतकबीर नगर के एक ब्राह्मण परिवार से थे. 50 के दशक की शुरुआत में वे अयोध्या आए थे और अभिरामदास के शिष्य बने. अभिराम दास वही हैं, जिन्होंने 1949 में मंदिर में रामलला की मूर्तियां स्थापित की थी. आचार्य सत्येंद्र दास, राम विलास वेदांती और हनुमान गढ़ी के संत धर्मदास तीनों गुरुभाई हैं. सत्येंद्र दास ने 1992 में बाबरी ध्वंस के समय रामलला की मूर्तियां गोद में लेकर हटाई थी. वे लंबे समय से श्रीरामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी थे. बाबरी गिरने से पहले, उसके बाद और भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद तक वही मुख्य पुजारी रहे थे.

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सत्येंद्र दास ने की तंबू के नीचे राम लला की मूर्ति की पूजा

आचार्य सत्येंद्र दास ने 20 साल की उम्र से ही मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में कार्य किया, जिसमें 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दौरान भी शामिल था. दास निर्वाणी अखाड़े से थे और अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक थे. जब 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था, तब मुख्य पुजारी के रूप में उनकी नौकरी मुश्किल से 9 महीने की थी. विध्वंस के बाद, दास मुख्य पुजारी के रूप में काम करते रहे, जब एक अस्थायी तंबू के नीचे राम लला की मूर्ति की पूजा की जाती थी. 

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