Rajasthan: पिंडदान करने बस से जा रहे थे बिहार के गया, हादसे में तीन भाइयों की मौत 

Rajasthan: झालावाड़ में एक परिवार बार-बार होने वाली होने वाली मौतों से परेशान था. पंडितों के बताए हुए उपाय अनुसार पिंडदान करने निकला था.

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Rajasthan: सड़क हादसे में झालावाड़ के तीन भाइयों की मौत हो गई. बस ड्राइवर को नींद की झपकी आने से बिहार के रोहतास जिले के जीटी हाईवे पर खड़े ट्रक के पीछे बस घुस गई. परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई. परिवार के लगभग 10 सदस्य घायल हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है. पुलिस ने बताया कि बिहार के रोहतास जिले के चिनारी थाना क्षेत्र के फोरलेन पर बस ट्रक के पीछे घुस गई. 

निजी बस से बिहार में 'गया' जा रहा था परिवार 

हादसे में बालू सिंह (61) गोवर्धन सिंह (52) और नरेंद्र सिंह (50) की दर्दनाक मौत हो गई. तीनों झालावाड़ जिले के भवानी मंडी थाना क्षेत्र के कोटड़ा गांव के रहने वाले थे.  परिवार सहित एक निजी बस किराए पर लेकर झालावाड़ के कोटड़ा से बिहार के गया के लिए रवाना हुए थे, जहां उन्हें पिंडदान करना था.  

परिवार में बार-बार हो रही थी मौतें  

मरने वालों के परिवार के सदस्यों ने बताया कि‌ जिन तीन लोगों की मौत हुई है, वह तीनों एक ही परिवार के और रिश्ते में भाई थे.  मरने वालों में नरेंद्र सिंह इस परिवार का मुखिया था.  लोगों ने बताया कि पिछले तीन-चार साल से इस परिवार में अचानक मौतें हो रही थीं. ठीक एक साल पहले भी परिवार के एक जवान युवक की मौत हो गई थी.  

पितरों का पिंडदान करने जा रहे थे 

बार-बार होने वाली इन मौतों को लेकर परिवार के मन में कई तरह की शंकाएं थीं, जिनके निवारण के लिए उन्होंने कुछ समय पूर्व पूजा अनुष्ठान करवाया था.  पंडितों के बताए गए उपायों के अनुसार, पूजा-अनुष्ठान के बाद परिवार के लोगों को बिहार के गया जाकर पितरों का पिंडदान करना था.  पिंडदान करने के लिए पूरा परिवार एक निजी बस को किराए पर लेकर बिहार के गया जाने के लिए निकला था, जहां यह हादसा हो गया.  घटना की जानकारी मिलने के बाद हर कोई आश्चर्यचकित रह गया. 

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गांव में सन्नाटा, शवों का कर रहे इंतजार 

कोटड़ा गांव में हादसे की सूचना पर चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है.  मरने वालों के अन्य परिजन और रिश्तेदार गांव पहुंचना शुरू हो गए हैं. बिहार से शवों को झालावाड़ लाने की व्यवस्था करने में जुटे हैं.  लोगों ने बताया कि किसी ने भी ऐसी उम्मीद नहीं की थी कि गमों का इतना बड़ा पहाड़ टूट पड़ेगा, अब मरने वाले लोगों के शवों का इंतजार है, ताकि अंतिम संस्कार किया जा सके. 

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