राजस्थान के 415 उम्मीदवार अब नहीं दे पाएंगे RPSC की परीक्षा, आयोग ने किया आजीवन डिबार

RPSC ने राजस्थान समेत अन्य राज्यों के 512 उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई की है. जिसमें सैकड़ों लोगों को आजीवन डिबार कर दिया है जबकि कुछ लोगों को 5 साल के लिए डिबार किया है.

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आरपीएससी की बड़ी कार्रवाई

RPSC Action: राजस्थान लोक सेवा आयोग ने हाल में उम्मीदवारों द्वारा फर्जी आवेदन भरने को लेकर चेतावनी दी थी. जिसमें कहा गया था कि उन्हें डिबार किया जा सकता है. लेकिन RPSC की इस चेतावनी को उम्मीदवारों ने हलके में ले लिया. जिसके बाद आयोग ने अब ऐसे उम्मीदवारों पर बड़ा एक्शन ले लिया है. यह एक्शन अब इन उम्मीदवारों के करियर के लिए खतरनाक साबित होगा. RPSC ने धांधली और गलत तरीकों से नौकरी पाने की कोशिश करने वाले अभ्यर्थियों पर बड़ी कार्रवाई की है.

415 आजीवन और 109 उम्मीदवार 5 साल के लिए डिबार

आयोग ने अब तक 524 संदिग्ध और अपात्र अभ्यर्थियों को डिबार किया है, जिनमें से 415 उम्मीदवारों को आजीवन भर्ती परीक्षाओं से बाहर कर दिया गया है. शेष 109 अभ्यर्थियों को एक से पांच वर्ष तक की अवधि के लिए डिबार किया गया है. जिलावार सूची में जालौर 128 उम्मीदवारों के साथ सबसे आगे है, जबकि बांसवाड़ा के 81 और डूंगरपुर के 40 अभ्यर्थियों को भी डिबार किया गया है.

क्यों किया गया डिबार

डिबार किए गए अभ्यर्थियों के खिलाफ कई तरह की अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं. इनमें सर्वाधिक 157 मामले फर्जी डिग्री और दस्तावेजों से संबंधित हैं, जिनमें 126 मामले फर्जी बीएड डिग्री के रहे. इसके अलावा परीक्षा में अनुचित साधन का उपयोग करने के 148, डमी अभ्यर्थियों के 68, ब्लूटूथ और मोबाइल से नकल करने के 38 और प्रश्न पत्र/ओएमआर शीट से छेड़छाड़ करने के 62 मामले सामने आए. अन्य कारणों जैसे परीक्षा आयोजन में व्यवधान डालना और आवेदन पत्र में गलत जानकारी देने पर भी 51 अभ्यर्थियों को डिबार किया गया है. डिबार लिस्ट में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश के 10 उम्मीदवार भी शामिल हैं.

ई-केवाईसी अनिवार्य

आयोग ने भविष्य में धांधली रोकने के लिए सख्ती बढ़ा दी है. 7 जुलाई 2025 से वन टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) में आधार या जन आधार से ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया गया है. अब बिना ई-केवाईसी कोई भी उम्मीदवार आगामी परीक्षाओं में आवेदन नहीं कर सकेगा. अभी तक 69.72 लाख पंजीकृत अभ्यर्थियों में से 59.23 लाख ने सत्यापन पूरा कर लिया है, जबकि 48 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने हाल ही में ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी की है. 

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वहीं तलाकशुदा महिलाओं के लिए आरक्षित कोटे का दुरुपयोग करने वालों पर भी आयोग ने नजर कड़ी कर दी है. सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि फर्जी तलाक सर्टिफिकेट बनवाकर आरक्षण का लाभ लेने वाले मामलों की जांच एजेंसियों से करवाई जा रही है और रिपोर्ट आने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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