RSS chief Mohan Bhagwat News: राजस्थान के नागौर स्थित शारदा बाल निकेतन में इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक महत्वपूर्ण शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास वर्ग शिविर चल रहा है. इस शिविर में 40 वर्ष की आयु तक के 284 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य उनमें धैर्य के साथ-साथ समग्र विकास लाना है.
सरसंघचालक मोहन भागवत तीन दिवसीय नागौर प्रवास पर
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत रविवार शाम करीब सवा पांच बजे जोधपुर से सड़क मार्ग द्वारा नागौर पहुंचे। वे 28 मई तक चलने वाले इस 20 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का हिस्सा बनेंगे, जो 17 मई से 6 जून तक आयोजित हो रहा है। भागवत अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान स्वयंसेवकों के साथ विभिन्न बौद्धिक सत्रों में व्याख्यान देंगे. हालांकि, इस दौरान उनका कोई सार्वजनिक कार्यक्रम निर्धारित नहीं है.
ऊर्जा, व्यवहार, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति पर विशेष बल
शिविर में अपने संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को ऊर्जा, व्यवहार, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इनकी उपयोगिता और आवश्यकता पर विशेष जोर दिया. शिविर के दौरान, भागवत प्रतिदिन एक-एक घंटे के प्रशिक्षण व्याख्यानों में शामिल रहेंगे. आज, सोमवार को सुबह आयोजित शाखा में मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को ऊर्जा, व्यवहार, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति पर विस्तृत व्याख्यान दिया. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वर्तमान और भविष्य में इन सभी गुणों का विशेष महत्व रहेगा, जिसके लिए हमें स्वयं को तैयार करना होगा.
प्रशिक्षण वर्ग का उद्देश्य और सहभागिता
वर्ग के सर्वाधिकारी हनुमानसिंह देवड़ा ने बताया कि सरसंघचालक भागवत तीन दिवसीय प्रवास पर नागौर आए हैं और वे स्वयंसेवकों के साथ नियमित दैनिक कार्यक्रमों में सहभाग कर रहे हैं. इस शिविर का मुख्य उद्देश्य स्वयंसेवकों में धैर्य के साथ शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास को बढ़ावा देना है. इसके तहत शिविर में विभिन्न संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रशिक्षण वर्ग में राजस्थान के सभी जिलों से स्वयंसेवक भाग ले रहे हैं.
2016 में आए थे नागौर
गौरतलब है कि मोहन भागवत इससे पहले 2016 में नागौर आए थे. उस समय यहीं से पूरे देश में संघ की गणवेश (वर्दी) बदली गई थी. उस दौरान पर्यावरण बचाओ अभियान की भी शुरुआत की गई थी. इस बार के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कई नए नवाचार (इनोवेशन) होने की भी संभावना दिखाई दे रही है, जिससे स्वयंसेवकों को एक व्यापक और समग्र प्रशिक्षण अनुभव मिल सके.
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