Sachin pilot on Aravali: राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाने वाली अरावली पर्वत को खनन माफियाओं से बचाने के लिए NSUI ने राजधानी जयपुर में बड़ा आंदोलन किया. जालूपुरा से कलेक्ट्रेट तक निकाले गए इस पैदल मार्च में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट और NSUI प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ के साथ हजारों की संख्या में छात्र और कार्यकर्ता शामिल हुए.
किसके आदेश से चल रहा यह खेल?
कलेक्ट्रेट पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सचिन पायलट ने राज्य सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि हजारों साल पुरानी अरावली को बचाने के बजाय सरकार इसे खतरे की ओर धकेल रही है. पायलट ने सवाल उठाया कि आज भी अरावली में सैकड़ों जगह अवैध खनन जारी है. सरकार बताए कि यह खनन किसके दबाव से चल रहा है? पायलट ने कहा की इतनी चतुराई से इस मामले को कोर्ट से मनवाया गया है कि हम बैन लगा देंगे. इसे करने से काम नहीं चलता बल्कि अरावली का संरक्षण करना होगा इसके लिए पेड़ लगाने होंगे और अवैध खनन रोकना होगा.
100 मीटर की परिभाषा पर घेरा
पायलट ने आंकड़ों के जरिए सरकार की चतुराई को उजागर करते हुए कहा कि एक विदेशी महिला (मर्फी) की रिपोर्ट के आधार पर अरावली की परिभाषा बदली जा रही है. पायलट ने कहा कि सरकार का तर्क है कि 100 मीटर से ऊंची पहाड़ी ही अरावली है. इस पर पायलट ने स्पष्ट किया कि मात्र 1,048 पहाड़ ही 100 मीटर से ऊपर हैं, जबकि 1,18,000 पर्वत पहाड़ियां 100 मीटर से कम हैं. यदि इस परिभाषा को माना गया, तो लाखों पहाड़ों को माफिया खोदकर साफ कर देंगे.
केंद्र सरकार से की मांग सुप्रीम कोर्ट में फिर दें आवेदन
पायलट ने कहा, "मैं केंद्र सरकार से गुज़ारिश करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट में एक नई अर्ज़ी दाखिल करें. परिभाषा में बदलाव किया जाना चाहिए, क्योंकि माइनिंग माफिया अरावली पहाड़ों की खुदाई करने के लिए तैयार हैं, और जो लोग मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं, उन्हें रोका जाना चाहिए. कुछ लोग पत्थर खोद लेंगे, लेकिन लाखों का नुकसान होगा. इसके लिए कौन ज़िम्मेदार होगा? आप पत्थर खोदकर, मिट्टी और क्रशर कर 2,500 रुपये या कुछ लाख रुपये कमा सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या छोड़कर जाएंगे?"
सरकार को दी चेतावनी
पायलट ने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि सरकार झूठे आंकड़े पेश कर हमें दबाना चाहती है, लेकिन हम झुकेंगे नहीं, उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता का दबाव इतना मजबूत होता है कि उसके आगे सरकारों को झुकना पड़ता है.
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