जालोर-सिरोही नहीं बुलाए जाने पर सचिन पायलट ने दिया था बयान, अशोक गहलोत ने कहा- यह बेवकूफी है

अशोक गहलोत के बेटे वैभव के प्रचार के लिए सचिन पायलट को जालोर सिरोही नहीं बुलाया गया इस पर राजनीति तेज हो गई है.

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Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है. 25 लोकसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान कराया जा चुका है, अब रिजल्ट का इंतजार किया जा रहा है. हालांकि, चुनाव के बाद भी राजस्थान में सियासत कम होने का नाम नहीं ले रही है. रिजल्ट आने में अभी तीन हफ्ते बाकी है. इस बीच अलग-अलग सीटों पर सियासत जारी है. दूसरे चरण में जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर मतदान 26 अप्रैल को हुआ था. वहीं इस सीट पर अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत कांग्रेस के उम्मीदवार है. ऐसे में अशोक गहलोत ने बेटे को जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. हालांकि, बेटे वैभव के प्रचार के लिए सचिन पायलट को जालोर सिरोही नहीं बुलाया गया इस पर राजनीति तेज हो गई है.

सचिन पायलट ने हाल ही में एक बयान में जालोर सिरोही सीट पर प्रचार न करने को लेकर कहा था कि उन्हें बुलाया नहीं गया था. इसके बाद से सियासी गलियारों में इस बयान दोनों के बीच की कलह फिर सामने आई है. वहीं इस बयान पर अब अशोक गहलोत की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.

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अशोक गहलोत ने क्या दी प्रतिक्रिया

अशोक गहलोत ने एक इंटरव्यू में कहा है कि

चुनाव में इस तरह की बातों को कई बार मुद्दा बना दिया जाता है. लेकिन इस तरह के मुद्दों पर कॉमेंट करने से बचना चाहिए. चुनाव में कई बार ये अनावश्यक इश्यू बनाया जाता है लेकिन ऐसी बेवक़ूफ़ी भी नहीं करनी चाहिए कि मुझे बुलाया नहीं गया. सचिन पायलट को यह बयान नहीं देना चाहिए था इसकी ज़रूरत नहीं थी. जिसमें उन्होंने कहा कि मुझे जालोर सिरोही चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया गया. कई बार ऐसा हो जाता है समय नहीं मिल पाता है. हालाँकि प्रियंका गांधी जब चुनाव प्रचार करने के लिए आई थी तो सचिन पायलट भी साथ आते तो उनका भी वेलकम होता. लेकिन इस तरह के बयान देने को मैं सही नहीं मानता हूं. 

अशोक गहलोत ने आगे कहा कि मैं जयपुर ग्रामीण में अनिल चोपड़ा के चुनाव प्रचार में नहीं जा पाया. मेरे OSD से उनकी बात हुई थी, लेकिन समय का तालमेल नहीं बैठा पाया. अगर मैं इस मुद्दे पर बयान देता और कहता कि मैं चोपड़ा के यहां जाना चाहता था, लेकिन मुझे फीडबैक नहीं मिला. यह ठीक नहीं होता है. चुनाव के वक़्त इस तरह के बयान से कैंडिडेट का नुक़सान होता है. हर उम्मीदवार जीतने के लिए चुनाव लड़ता है. वहां की क्या परिस्थितियां है किस नेता की ज़रूरत है उसी हिसाब से पार्टी कंट्रोल रूम से मांग की जाती है. लेकिन इस तरह के बयानों से चुनाव के बीच कैंडिडेट को नुक़सान होता है इससे बचना चाहिए. 

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गौरतलब है कि जालोर सिरोही चुनाव में सचिन पायलट के प्रचार नहीं करने जान पैरों से मीडिया ने सवाल पूछा था फ़ोन का जवाब था कि मुझे चुनाव प्रचार के लिए बुलाया नहीं गया है अगर बुलाया जाता तो मैं अवश्य जाता.

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