Rajasthan: सज्जनगढ़ पार्क में टाइगर कुमार की मौत से छाई उदासी,10 साल की उम्र में कर्नाटक से लाया गया था उदयपुर

Tiger Kumar's death: सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघ कुमार की मौत हो गई है, जिसे 10 साल की उम्र में कर्नाटक के उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क से लाया गया था. वह बाघिन दामिनी पर हमला करने के लिए जाना जाता था.

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टाइगर कुमार का अंतिम संस्कार करता हुआ वन विभाग
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Udaipur Sajjangarh Biological Park: उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क  (Sajjangarh Biological Park) में रविवार का दिन बेहद गमगीन रहा. पिछले आठ सालों से अपनी दहाड़ से दर्शकों को रोमांचित करने वाले बाघ कुमार ( Tiger Kumar Death) की मौत हो गई. कुमार को 10 साल पहले कर्नाटक (Karnataka)से लाया गया था. सुबह जब वन विभाग के अधिकारी नियमित जांच के लिए उसके पास पहुंचे, तो उसकी मौत हो चुकी थी. वन विभाग की टीम ने नियमानुसार कुमार का अंतिम संस्कार कर दिया.

पिछले 6 माह से जोड़ो के दर्द से था परेशान

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक टाइगर कुमार पिछले 6 माह से जोड़ो के दर्द से परेशान था.खास बात यह कि कुमार पूरे देश में तब सुर्खियों में आया था जब उसने एनक्लोजर तोड़कर टाइग्रेस दामिनी पर हमला किया था. जिसमें बाघिन दामिनी की मौत हो गई थी.

टाइगर कुमार की मौत
Photo Credit: NDTV

 10 साल की उम्र में उदयपुर लाया गया था

वन विभाग के अधिकारियों ने आगे बताया कि बाघ कुमार को वर्ष 2017 में कर्नाटक के पीलीकुला बायोलॉजिकल पार्क से उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क लाया गया था, जब वह 10 साल का था. तब से वह उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क में ही था.जोड़ों के दर्द के कारण उसे लंबे समय तक पार्क के नॉन-डिस्प्ले एरिया में रखा गया था.

बाघिन दामिनी पर हमला करने के कारण पाई था प्रसिद्धि

साल 2020 की बात है, जब बाघिन दामिनी और बाघ कुमार के बाड़े पास-पास थे. अपनी ताकत दिखाते हुए, कुमार ने चिड़ियाघर के मज़बूत बाड़े (जो नियमों के अनुसार बनाया गया था) की जालियां पंजों से मारकर तोड़ दीं. उसने दूसरे बाड़े की जालियां तोड़ दीं और बाघिन दामिनी के बाड़े में घुसकर उस पर हमला कर दिया. पार्क में ही दोनों के बीच भीषण संघर्ष हुआ, जिसमें दामिनी हार गई और हमले में लगी चोटों के कारण उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद बाघ कुमार देशभर में सुर्खियों में छा गए.

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 एक बाघिन  बची है इस पार्क में

शहर के इस जैविक उद्यान में अब केवल एक बाघिन विद्या ही बची है, जिसके कारण वन विभाग एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत अन्य बाघों को भी यहां लाने पर विचार कर रहा है.
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