सलमान खान और शिल्पा शेट्टी को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, 7 साल बाद रद्द होगी FIR, जानें पूरा मामला

चूरू के कोतवाली थाने में 22 दिसंबर 2017 को दर्ज करवाई गई एफआईआर में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और सलमान खान के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को राजस्थान हाई कोर्ट ने रद्द किया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan High Court Judgment: राजस्थान हाई कोर्ट जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने अभिनेता सलमान खान (Salman Khan) और शिल्पा राज कुंद्रा (Shilpa Shetty) के खिलाफ दर्ज SC-ST एक्ट (SC-ST ACT) से संबंधित FIR में बड़ा फैसला दिया है. शिल्पा शेट्टी के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है. दरअसल यह पूरा मामला एक इंटरव्यू से जुड़ा हुआ था, जिसे साल 2013 में शूट किया गया था. उस इंटरव्यू के दौरान अभिनेता सलमान खान और शिल्पा शेट्टी के द्वारा दिए गए कथन के खिलाफ चूरू के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. जबकि एससी एसटी एक्ट 2015 में संशोधन हो चुका है. ऐसे में 2013 की घटना को लेकर 2017 में मुकदमा दर्ज कराया गया, जो कि एक्ट के प्रावधान के तहत भी नहीं है.

2013 और 2017 के शो का था मामला

22 दिसंबर 2017 को चूरू के कोतवाली थाने में SC-ST एक्ट में सलमान खान और शिल्पा शेट्टी के खिलाफ वाल्मीकि समाज के अशोक पंवार ने मामला दर्ज करवाया था. उनका कहना था उन्होंने 2013 के एक टीवी साक्षात्कार में शिल्पा शेट्टी के द्वारा 'भंगी' शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसमें अभिनेता सलमान खान भी मौजूद थे. पुलिस को दी गई शिकायत के अनुसार इस शब्द के इस्तेमाल से कथित तौर पर वाल्मीकि समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची थी. मामला दर्ज होने के बाद 18 जनवरी 2018 को जांच अधिकारी ने नोटिस जारी किया था.

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बिना इंक्वारी FIR दर्ज करना गैरकानूनी: HC

हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि एससी एसटी एक्ट के तहत जुर्म प्रमाणित होने के लिए किसी को ठेस पहुंचाने की नियत आवश्यक है, जो की प्रार्थी के केस में नहीं दिखाई दे रही है. हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज करने के लिए सेक्शन और प्रिलिमनरी जांच करना अति आवश्यक है. बिना इंक्वारी के एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज करना गैरकानूनी है.

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मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं: HC

हाई कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक हस्तियों द्वारा दिए गए बयानों को कभी-कभी कुछ लोग मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए बढ़ा चढ़ा कर पेश करते हैं. न्यायालय ने यह भी कहा चाहे जो भी हो जब तक कोई दुर्भावना या नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं है, तब तक किसी को भी आपराधिक रूप से उत्तरदाई नहीं ठहराया जा सकता है. सार्वजनिक हस्तियों द्वारा दिए गए बयानों को कभी-कभी मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए जनता के अज्ञात लोगों द्वारा बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है.

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हाईकोर्ट ने इस कारण FIR रद्द करने को कहा

वहीं कोर्ट ने शिकायतकर्ता के मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी को भी एक कारण माना है. हाईकोर्ट ने इस मामले में धर्म जाति या जन्म स्थान के आधार पर समूहों के बीच में दुश्मनी को बढ़ावा देने का कोई भी आरोप नहीं माना है. ना ही वाल्मीकि समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात अदालत ने मानी.

इस पूरे मामले की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश अरुण मोंगा ने शिल्पा शेट्टी के खिलाफ कोतवाली चूरू के कोतवाली थाने में दर्ज एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए. इस मामले में शिल्पा शेट्टी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पाटिल अधिवक्ता गोपाल संधू ने अभिनेत्री शिल्पा राज कुंद्रा का पक्ष रखा. वहीं राज्य सरकार की तरफ से विक्रम राजपुरोहित ने इस मामले की पैरवी की.

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