Rajasthan: राजस्थान में है एक अनोखा शिवलिंग, जहां चढ़ता है सिंदूर का चोला; जानें क्या है मान्यता

Rajasthan: राजस्थान के टोंक में एक ऐसा शिवलिंग है, जो बालू के रेत से बना है. मुचकुंदेश्वर महादेव के इस मंदिर में शिव-पार्वती की एक साथ पूजा होती है.

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राजस्थान के टोंक जिले में मुचकुंदेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है.

Rajasthan: टोंक के नगरफोर्ट तहसील के नैनवां रोड पर मुचकुंदेश्वर महादेव का मंदिर है. इस मंदिर में शिवलिंग बहुत ही अनोखा है, जो बालू के रेत से बना है. शिव-पार्वती की एक ही स्वरूप में पूजा होती है. शिवलिंग पर सिंदूरी का चोला चढ़ाकर शिवभक्त पूजा करते हैं. मंदिर से जुड़े पुजारियों के अनुसार यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है, जो बालू रेत से बना है. 

संवत 900 के आसपास स्थापित हुआ था मंदिर  

मुचकुंदेश्वर महादेव मंदिर के पास ही खेड़ा सभ्यता मौजूद है, जिसके जमीन में दबे अवशेष आज भी रहस्य है. संवत 900 के आसपास मुचकुंदेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना हुई. ऐसी मान्यताएं और किदवंतियां हैं कि राजा मुचकुंद ने यंहा तपस्या की थी. राजा मुचकुंद भगवान शिव के परम भक्त थे. कहा जाता है कि उसकी आंखों के तेज से ईंट तक पक जाती थी. इस मंदिर की स्थापना राजा मुचकुंद ने की, इसीलिए यह मंदिर  मुचकुंदेश्वर महादेव मंदिर कहलाया. 

टोंक जिले में मुचकुंदेश्वर महादेव का मंदिर है.

भगवान शिव और पार्वती की एक ही स्वरूप में पूजा होती है  

मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर के पुजारी शिव नंदन शर्मा ने बताया, भगवान शिव और पार्वती की एक साथ पूजा होती है. पार्वती के शृंगार के लिए सिंदूर का चोला चढ़ता है. शिव भक्त शिवलिंग पर सिंदूर और चोला चढ़ाते हैं. 

शिवलिंग पर सिंदूर का चोला चढ़ता है.

शिवलिंग पर सिंदूर का चोला चढ़ाने पर मनोकामना पूरी होती है 

सावन के महीने में इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. शिवलिंग पर सिंदूर का चोला चढ़ाने पर भक्त की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है. आस-पास के गांवों के अलावा दूर-दूर से श्रदालु पंहुचते हैं. 
 

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