राजस्थान धर्म परिवर्तन कानून पर SC का नोटिस, 9 राज्यों के एंटी-कन्वर्जन लॉ पर अब एक साथ होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के धर्म परिवर्तन कानून पर सरकार को नोटिस भेजा है. राजस्थान सरकार के इस कानून को चुनौती देने वाली यह चौथी याचिका है, जिस पर जवाब मांगा गया है.

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राजस्थान सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून पर मांगा जवाब (फाइल फोटो)

Rajasthan News: राजस्थान सरकार के विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम (Rajasthan Anti-Conversion Law 2025) की कानूनी वैधता अब सीधे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में तय होगी. देश की शीर्ष अदालत ने आज (28 नवंबर 2025) इस कानून को चुनौती देने वाली चौथी रिट याचिका पर सरकार (Rajasthan Government) को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की दो सदस्यीय बेंच ने जारी किया.

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कोर्ट ने इस याचिका को तुरंत ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा और झारखंड के समान कानूनों से जुड़े राष्ट्रीय बैच के साथ टैग कर दिया है. इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट अब देश के लगभग 9 राज्यों के "फ्रीडम ऑफ रिलीजन" या "एंटी-कन्वर्जन" कानूनों की संवैधानिक वैधता की एक साथ जांच करेगा.

क्यों चुनौती दी गई राजस्थान के कानून को?

राजस्थान सरकार के इस कानून को चुनौती देने वाली चौथी याचिका पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने दायर की है. याचिका में कानून की कई धाराओं को असंवैधानिक (Unconstitutional) घोषित करने की मांग की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि यह अधिनियम संविधान के विपरीत है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14, 19, 21, 25 और 26) का उल्लंघन करता है. याचिका के अनुसार, यह कानून व्यक्तिगत आस्था और धर्म चुनने की स्वतंत्रता पर अत्यधिक सरकारी नियंत्रण लगाता है. कानून अंतर-धार्मिक संबंधों को अनुपातहीन रूप से अपराध की श्रेणी में रखता है. यह अधिकारियों को पूर्व-नोटिस देने को अनिवार्य करता है, जिससे पुलिस को अनावश्यक रूप से दखल देने वाले अधिकार मिल जाते हैं.

PUCL ने स्पष्ट किया कि राजस्थान का कानून अन्य राज्यों के समान ही है, जिनके कानून पहले से चुनौती के अधीन हैं, इसलिए इसे भी राष्ट्रीय बैच के साथ सुना जाना चाहिए.

राजस्थान सरकार ने सौंपी पूरी लिस्ट

राजस्थान राज्य की ओर से इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को देशभर में लंबित सभी संबंधित याचिकाओं—जिसमें ट्रांसफर याचिकाएं, एसएलपीज़ और विभिन्न राज्यों के एंटी-कन्वर्जन कानूनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं शामिल थीं—की एक विस्तृत सूची सौंपी. पीठ ने इस रिपोर्ट पर विचार किया और निर्देश दिया कि राजस्थान की इस नई याचिका को औपचारिक रूप से उसी राष्ट्रीय बैच में शामिल किया जाए. 

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राजस्थान सरकार के इस कानून को चुनौती देने वाली यह चौथी याचिका है. इससे पहले भी दशरथ कुमार हिनुनिया, एम. हुजैफा और जयपुर कैथोलिक वेलफेयर सोसायटी द्वारा दायर याचिकाएं लंबित हैं, जिन पर पहले ही नोटिस जारी हो चुका है.

क्यों सभी कानून एक साथ सुने जा रहे हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने 30 से अधिक संबंधित याचिकाओं को एक साथ टैग करने का निर्देश दिया है क्योंकि इन सभी कानूनों में समान संवैधानिक प्रश्न उठते हैं. इन सब पर अब एक साथ सुनवाई होगी. इन याचिकाओं की अगली सुनवाई तभी होगी जब सभी संबंधित पक्षों की ओर से Counter-affidavits और Rejoinders दायर हो जाएंगे.

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