राजस्थान के डूंगरपुर में 150वीं बिरसा मुंडा जयंती का भव्य आगाज, स्कूली बच्चों ने बनाई 'मानव श्रृंखला'

लक्ष्मण मैदान में आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण थी. बच्चों ने मानव श्रृंखला बनाकर भगवान बिरसा मुंडा के प्रतीकात्मक मूर्त रूप का प्रदर्शन किया. यह रचनात्मक तरीका नई पीढ़ी को उनके इतिहास से जोड़ने का एक सफल प्रयास है.

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स्कूली बच्चों ने मानव श्रृंखला से बनाए 'भगवान बिरसा मुंडा'.
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान का जनजातीय बहुल जिला डूंगरपुर (Dungarpur) इन दिनों जनजातीय गौरव वर्ष के ऐतिहासिक उत्सव का साक्षी बन रहा है. देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासियों के भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती (Birsa Munda Jayanti) के उपलक्ष्य में, जिला प्रशासन ने भव्य कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू कर दी है. इसी कड़ी में शुक्रवार को डूंगरपुर शहर के लक्ष्मण मैदान (Lakshman Ground) में एक अनूठा और प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किया गया. यहां स्कूली बच्चों ने मानव श्रृंखला (Human Chain) बनाकर न सिर्फ भगवान बिरसा मुंडा के मूर्त रूप का प्रदर्शन किया, बल्कि इस आयोजन ने राष्ट्रीय एकता की भावना को भी मजबूत किया.

'वंदे मातरम्' का सामूहिक गायन

यह कार्यक्रम दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों का संगम था— भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' की रचना के 150 वर्ष पूर्ण होने का उपलक्ष्य. स्कूली बच्चों, स्थानीय लोगों और प्रशासनिक अधिकारियों ने एक साथ मिलकर 'वंदे मातरम्' का गायन किया. यह पल देशभक्ति, स्वदेशी और राष्ट्रीय एकता की भावना को और मजबूत करने वाला था. एसडीएम डूंगरपुर, सोनू गुर्जर ने बताया कि इन आयोजनों के माध्यम से नई पीढ़ी को बिरसा मुंडा के त्याग और संघर्ष के साथ-साथ राष्ट्रीय गीतों के महत्व से भी जोड़ा जा रहा है.

आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई

भगवान बिरसा मुंडा का योगदान भारतीय इतिहास और आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई में अविस्मरणीय है. बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को संगठित किया और उन्हें जल, जंगल और ज़मीन के अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया. उनका संघर्ष ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के शोषण और अन्याय के खिलाफ था. उन्होंने जनजातीय समुदाय में सामाजिक और धार्मिक सुधार लाने का भी प्रयास किया. उनके अतुलनीय योगदान को सम्मानित करने के लिए, भारत सरकार ने उनकी जयंती यानी 15 नवंबर को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया.

डूंगरपुर में यह राज्य स्तरीय समारोह 15 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी शिरकत करेंगे. यह आयोजन जनजातीय समुदाय के गौरव और संस्कृति को समर्पित होगा.

मानव श्रृंखला प्रदर्शन: शिक्षा और सम्मान का संगम

लक्ष्मण मैदान में आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण थी. बच्चों ने मानव श्रृंखला बनाकर भगवान बिरसा मुंडा के प्रतीकात्मक मूर्त रूप का प्रदर्शन किया. यह रचनात्मक तरीका नई पीढ़ी को उनके इतिहास से जोड़ने का एक सफल प्रयास है. इस दौरान बच्चों ने जोर-शोर से भगवान बिरसा मुंडा के जयकारे लगाए, जिससे पूरे मैदान में उत्साह और गर्व का माहौल बन गया. जिला प्रशासन का लक्ष्य इन कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय और जनजातीय चेतना को जन-जन तक पहुंचाना है, खासकर युवा वर्ग में. बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में, डूंगरपुर जिले में कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें जागरूकता रैली, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और संगोष्ठियां शामिल हैं.

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