Sharda Sinha Net Worth: हाल ही में हुई थी शारदा सिन्हा के पति का निधन, जानें अपने पीछे क्या छोड़ गईं

शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का भी निधन हुआ है. जिसके बारे में शारदा सिन्हा ने खुद अपने फेसबुक पोस्ट पर दिया था. उनके जाने के बाद शारदा सिन्हा काफी टूट गई थी.

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Sharda Sinha Net Worth: शारदा सिन्हा अपने लोकगीत के लिए केवल बिहार में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर थीं. उनके लोक गीत दिल को छू जाने वाले होते हैं. लेकिन अब शारदा सिन्हा हम सब के बीच नहीं रही. शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं जबकि उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. लेकिन दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान उन्होंने 5 नवंबर को अंतिम सांस ली. शारदा सिन्हा कई सालों से मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थीं. बताया जाता है कि यह बीमारी कैंसर के रूप में होती है जो रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है.

हाल ही में शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का भी निधन हुआ है. जिसके बारे में शारदा सिन्हा ने खुद अपने फेसबुक पोस्ट पर दिया था. उनके जाने के बाद शारदा सिन्हा काफी टूट गई थी. हालांकि खुद को हिम्मत देते हुए उन्होंने संगीत का सफर जारी रखने का फैसला किया था.

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शारदा सिन्हा अपने पीछे क्या छोड़ गईं

शारदा सिन्हा अपने पीछे  बेटी वंदना और बेटे अंशुमान सिन्हा को छोड़ गई हैं. इसके अलावा अंशुमान की की एक बेटी भी हैं. हाल ही में शारदा सिन्हा ने जब पति ब्रजकिशोर सिन्हा की आखिरी तस्वीर साझा की थी तो उसमें पति के गोद में उनकी पोती थी.

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वैसे तो शारदा सिन्हा की संपत्ति के बारे में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी संपत्ति करीब 35 से 42 करोड़ के बीच बताई गई है. शारदा सिन्हा का जीवन बिलकुल ही सादा था. पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा अपने सादे जीवन के लिए काफी लोकप्रिय थीं.

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शारदा सिन्हा ने पति के लिए लिखा था पोस्ट

शारदा सिन्हा ने अपने फेसबुक पोस्ट पर 7 अक्टूबर को एक पोस्ट लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने पति के जाने के बारे में और अपनी आखिरी मुलाकात के बारे में बातें शेयर की थी. उन्होंने अपने पति से कहा था मैं जल्द ही आउंगी.

शारदा सिन्हा का भावुक पोस्ट

जब सब घर में सो रहे होते थे, आज के दिन सिन्हा साहब , चुपके से उठ कर  फूल वाले के पास जाते थे, दो गुलाब और कुछ चटपटा नाश्ता, हाथ में लिए, एक नटखट सी हंसी अपने आंखों में दबाए, घर आते थे, बिना आवाज किए, मेरे सिरहाने में रखी कुर्सी पर बैठ कर, इंतजार करते थे कि कब मैं उठूं, और वो मुझे वो दो गुलाब दे कर कहें, "जन्मदिन हो आज तुम्हे मुबारक, तुम्हे गुलसितां की कलियां मिले, बहारे न जाएं तुम्हारे चमन से, तुम्हे जिंदगी की खुशियां मिलें". फिर मैं अर्ध निद्रा में, आंखे मलते हुए उठती, उन्हें हाथ जोड़ प्रणाम करती, और इससे पहले कि मैं अच्छी शब्दावली का चयन कर उन्हे धन्यवाद कहती, वे अधीर हो पूछ बैठते थे , ...." अरे भाई, आज तो कुछ खास होना चाहिए खाने में, फिर वो चटपटा नाश्ता मेरे ठीक सिरहाने रख कर कहते, हांजी ये सबके लिए है". मैं उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखने के हिसाब से उन्हें मना करती, "मत खाइए ये सब , तबियत खराब हो जाएगी.... अरे छोड़ो जी...मस्ती में रहो कह कर चल देते . मैं बच्चों से कहती, उनको मत देना इस नाश्ते में से, वो पक्का पहले ही खा चुके होंगे... चश्में के ऊपर से वो मुझे घूरते और कहते..नही नही, मैं उन्हें और जोर से घूरती तो चुप चाप कह देते थे, ...थोड़ा खाया था मैंने . फिर मैं बच्चों से उनकी दावा दिलवा कर उन्हे आराम करने को कहती थी. 
बिना सिन्हा साहब के ये दिन शूल सा गड़ता है मुझे, आज मैं क्या पूरी दुनियां ही उन्हें फूलों से सजा रही है . एकाद्शा/ द्वादशा की तैयारियां हैं, अब थोड़ा नाश्ता क्या पूरा भोज सामने है . 
ये कौन सा तोहफा दे गए सिन्हा साहब ?!? 
उनसे अंतिम मुलाकात 17 सितंबर की शाम हुई, जब मैंने कहा था, 3 दिनों में मैं लौट कर आ जाऊंगी, आप अपना ध्यान रखिएगा . उन्होंने मुझे कहा, "... मैं बिल्कुल ठीक हूं , आप बस स्वस्थ रहिए.. और जल्दी लौट जाईयेगा ". हाथ जोड़ कर ढब ढबाती आंखें मुझे आखरी बार देख रही थीं ये कौन जानता था . 
आज का दिन बहुत भारी है .
 सिन्हा साहब की मौजूदगी का एहसास मुझे तो है ही , दोनो बच्चों वंदना और अंशुमन को तो ऐसा लगता है जैसे पिताजी कहीं गए हैं , थोड़ी देर से लौट आएंगे . 
ये चीरता सन्नाटा, ये शूल सी चुभन, हृदय जैसे फट कर बाहर आ जाएगा ! 
आखरी मुलाकात की एक तस्वीर बची है, सबके दर्शनार्थ यहां साझा कर रही हूं . 
पोती उनकी गोद में है, आंखे उनकी भरी भरी, मैं द्रवित सी, दिलासा देती साथ खड़ी हूं . मैं जल्द ही आउंगी ... मैने बस यही कहा था उनसे ......!