Shardiya Navratri 2023: राजस्थान के इस मंदिर में मां को लगता है शराब का भोग, पुष्प गिरा तो समझों पूरी होगी हर मन्नत

टोंक जिले के दूनी गांव में दूणजा माता मंदिर में सालों से चमत्कार होता आया है. जहां आज भी माता के भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर शराब का भोग लगाते है.

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टोंक:

Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो गई है. नौ दिन तक चलने वाला ये त्योहार 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. इस दौरान श्रद्धालु मां देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना करते हैं. शारदीय नवरात्रों की रविवार से शुरुआत होने के साथ ही दूणजा माता जी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है. इस मंदिर में देश-प्रदेश के श्रद्धालुओं की आस्था ओर श्रृद्धा के साथ भक्तों का विश्वास जुड़ा हुआ है

जब भक्त कोई मन्नत मांगता है तो माता की प्रतिमा से स्वतः ही पुष्प नीचे गिरता है. इस प्राचीन मंदिर में भक्त अपनी अर्जी पूरी होने के बाद शराब की बोतल लेकर पहुंचते हैं. इस मंदिर में पुजारी के हाथों पीपल के पत्ते के सहारे माता जी के मुंह पर शराब की धार लगाई जाती है, तो दूणजा माता जी की यह चमत्कारी प्रतिमा शराब का भोग ग्रहण करने लगती है. यह परम्परा ओर सिलसिला सालों से चला आ रहा है. 

टोंक जिले के दूनी गांव में प्राचीन तालाब के किनारे प्राचीन दूणजा माता का मंदिर मौजूद है. इस मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्रों में भक्तों की भीड़ भारी संख्या में उमड़ती है. इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी होने के साथ ही यहां चमत्कार भी देखने को मिलता है. यह मंदिर सुरापान करने वाली दूणजा माता जी के नाम से प्रसिद्ध है.

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भवर लाल चौधरी बताते हैं कि यहां बारह महीनों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. यह प्राचीन दूणजा माता मंदिर का इतिहास महर्षि द्रोणचार्य की साधना-तपोबल से जुड़ा हुआ है. दूनी कस्बे का नाम पहले द्रोणनगरी था. इस प्राचीन मंदिर का इतिहास करीब 900 साल से ज्यादा पुराना है. इस मंदिर में चार फिट की दूणजा माता की प्रतिमा स्थापित है.

लोक कथाओं के अुनसार माता स्वयं पाषाण की प्रतिमा में परिवर्तित हुई थीं. अंग्रेजो के शासन काल में इस मंदिर के चमत्कार को देखकर अंग्रेज अफसरों ने माता के मंदिर में प्रतिमा के सुरापान की जांच के लिए खुदाई करवाई थी, लेकिन कहीं कोई सुराग नही मिला. दूणजा माता मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भंवरलाल जाट के अनुसार मंदिर के चढ़ावे की राशि से मंदिर के विकास के प्रयास लगातार जारी है. मंदिर में सुविधाओं के प्रयास लगातार जारी है. जिसके चलते अब धर्मशाला और बरामदों का निर्माण किया जा रहा है. 

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