Shyam Benegal Death: नहीं रहे श्याम बेनेगल, 90 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

श्याम बेनेगल ने अंकुर, निशांत, मंथन, भूमिका, जुनून, मंडी, मम्मो, सरदारी बेगम, जुबैदा, वेलकम टू सज्जनपुर जैसी फिल्मों से सिनेमा के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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श्याम बेनेगल

Shyam Benegal Death: भारतीय सिनेमा को अपने निर्देशन से एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने वाले प्रख्यात फ़िल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का निधन हो गया है. उन्होंने 90 वर्ष की आयु में मुंंबई के लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली जहां कुछ समय से उनका इलाज चल रहा था. नौ दिन पहले ही, 14 दिसंबर को उन्होंने अपने परिवार और करीबी लोगों के बीच अपना 90वां जन्मदिन मनाया था. श्याम बेनेगल की गिनती भारत में समानांतर सिनेमा की अग्रिम पंक्ति के फिल्मकारों में होती है. श्याम बेनेगल ने 1974 में अपनी पहली ही फिल्म अंकुर से एक गंभीर फिल्मकार के रूप में अपनी पहचान स्थापित की थी. उनकी बनाई निशांत, मंथन, भूमिका, जुनून, मंडी, मम्मो, सरदारी बेगम, जुबैदा, वेलकम टू सज्जनपुर जैसी फिल्मों से सिनेमा के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. मुजीब उनकी अंतिम फिल्म थी जो पिछले ही वर्ष 2023 में आई थी. श्याम बेनेगल को वर्ष 2005 में भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया गया था. 

कई कलाकारों को उभारने वाले श्याम बेनेगल

श्याम बेनेगल की फिल्में भारतीय सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों की नर्सरी भी रही. इसमें नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और सिनेमेटोग्राफर गोविंद निहलानी का नाम शामिल है. जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री बनाने के अलावा उन्होंने दूरदर्शन के लिए धारावाहिक 'यात्रा', 'कथा सागर' और 'भारत एक खोज' का भी निर्देशन किया और छोटे पर्दे पर भी अपनी अलग पहचान कायम की.

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श्याम बेनेगल का फिल्मी सफर

श्याम बेनेगल का जन्म साल 1934 में हैदराबाद में हुआ था. घर में फिल्मी माहौल होने के वजह से श्याम बेनेगल की शुरुआत से फिल्मों की रुचि रही थी. यही वजह है कि उन्होंने 12 साल की उम्र में पहली फिल्म की. श्याम बेनेगल ने अपने करियर की शुरुआत साल 1959 में एक विज्ञापन एजेंसी से की थी. उन्होंने 1962 में एक गुजराती डॉक्यूमेंट्री बनाई थी.

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