Rajasthan News: राजस्थान के सीकर जिले से शनिवार सुबह एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया. एल्यूमिनियम के कारखाने में काम करने वाले एक मजदूर ने आत्महत्या कर ली. इस कदम को उठाने से पहले वो अपनी पत्नी को मायके छोड़कर आया और फिर अपना वीडियो स्टेटमेंट रिकॉर्ड कर रिश्तेदारों को भेजा. उसने 4 पेज का एक सुसाइड नोट भी लिखा, जिसमें लिखी बातें को जब लोगों ने पढ़ा तो वो भी भौचक्का रह गए.
कारखाना मालिक ने मजदूर के नाम पर लिया लोन
मृतक राम रतन ने अपने सुसाइड नोट में कारखाना मालिक पर आरोप लगाते हुए लिखा, 'क्या गलती हो गई थी मुझे तो अपने मुझे ये इनाम दिया? आप मेरे नाम से ऑनलाइन लोन पर लोन लेते रहे. मेरे नाम से ब्याज पर पैसे उठाते रहे. लेकिन वापस करने की बात आई तो आपने अपना रंग दिखा दिया. मैं हर महीने 40 से 45 हजार रुपये की EMI भरने के लिए पैसे कहां से लाऊंगा? सैलरी तो आप टाइम पर देते नहीं. आपका लोन चुकाने के चक्कर में पैसे की कमी हो गई है और मेरे लोन की किश्तें बाउंस हो रही हैं. आपकी वजह से मुझे शर्मिंदा होना पड़ रहा है. मैं बहुत टेंशन में रहता हूं.'
'आपके लोन की वजह से मेरे बच्चे अनाथ हो रहे हैं'
राम रतन ने आगे लिखा, 'मैं पिछले एक साल से लोन बंद करने के लिए कह रहा हूं. लेकिन आपने ऐसा नहीं किया. जब मैंने नौकरी छोड़ना चाहा, तो आपने वो भी नहीं करने दिया. आपके लोन के चक्कर में लोग मुझे खूब सुनाकर जाते हैं, जो मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. उन लोगों को क्या जवाब दूं समझ नहीं आता. जो आदमी अपनी जुबान पर कायम नहीं रहता वो जिंदा लाश के समान है. पिछले 15 दिन से आपको मैसेज व कॉल कर रहा हूं, लेकिन आप जवाब नहीं दे रहे हैं. आपके लिए लोन की वजह से आज मेरे बच्चे अनाथ हो रहे हैं. अब उनकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा? मेहनत करने में मैं पीछे नहीं रहा, लेकिन आपके लोन ने मेरा स्वाभिमान नहीं बचने दिया.'
'मम्मी-पापा, मैं आपसे माफी चाहता हूं'
आगे सुसाइड नोट में राम रतन ने अपने माता पिता से माफी मांगी है. उन्होंने लिखा, 'जिस उम्र में आपको मेरी जरूरत थी, मैं उसी समय आपको छोड़कर जा रहा हूं. भाईजी को लोन दिलाकर मैंने गलती कर दी. अब मैं सजा भुगत रहा हूं. धमेंद्र तू ही मेरा यार है. मेरे बच्चों का ख्याल रखना. संतोष मुझे माफ करना, मैं शादी के वचन पूरे नहीं कर सका. मुझे नहीं पता था कि दूसरी की बातों में आकर मैं इस तरह उलझ जाऊंगा.'
भारत सरकार से शिकायत और मदद की अपील
राम रतन ने अपने सुसाइड नोट के आखिर में बताया है कि उन्होंने सहारा इंडिया में 25 साल का रुपये जमा करवाए थे. लेकिन अचानक वो कंपनी सारा पैसा लेकर भाग गई. लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया. मेरे 10 से 15 लाख रुपये हैं जो सहारा कंपनी ने नहीं दिए हैं. जब तक मैं मजदूर था, तब तक कुछ काम करके अपने परिवार को पेट भर रहा था. अब मैं इस दुनिया को छोड़कर जा रहा हूं. इसीलिए मेरी सरकार से अपील है कि वो सहारा इंडिया से मेरा पैसा दिलाए ताकि उससे मेरे परिवार को कुछ सहारा मिल सके.
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