Jalore News: राजस्थान के जालोर जिले से प्रशासन की संवेदनशीलता और तत्परता की एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जिसने एक परिवार के पिछले पांच दशकों के मानसिक और प्रशासनिक संघर्ष को समाप्त कर दिया है. तहसील जसवंतपुरा के जोड़वाड़ा में आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर में उसकी 5 दशकों से कोई पहचान वापस मिली है.
क्या थी 50 साल पुरानी वो गलती?
मामला रणजीत खां और उनके परिवार के 8 सदस्यों से जुड़ा है. पिछले करीब 50 वर्षों से राजस्व रिकॉर्ड (Revenue Records) में तकनीकी गलति के कारण इस परिवार की जाति ‘ओसवाल'दर्ज चली आ रही थी. जबकि वास्तव में यह परिवार ‘कोटवाल' जाति से ताल्लुक रखता है. रिकॉर्ड में इस गलत एंट्री के कारण परिवार को न तो उचित जाति प्रमाण पत्र मिल पा रहे थे और न ही वे अपनी श्रेणी के अनुसार सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ ले पा रहे थे.
शिविर में हुआ मौके पर निपटारा
ग्रामीण सेवा शिविर के दौरान जब पीड़ित परिवार ने अपनी परेशानी प्रशासन के सामने रखी, तो अधिकारियों ने इसे तुरंत इसका समाधान किया. उन्होंने इसे कागजी गलती न मानकर एक मानवीय समस्या के रूप में लिया. जिसके बाद तहसीलदार नीरज कुमारी के निर्देशन में टीम ने पुराने अभिलेखों, वंशावली और तथ्यों की गहनता से पड़ताल की. जिसके बाद जांच में पाया गया कि परिवार'कोटवाल' है ओसवाल नहीं. इसके बाद सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया गया. साथ ही मौके पर ही रिकॉर्ड में संशोधन कर जाति को ‘कोटवाल' के रूप में दर्ज किया गया.
प्रशासनिक टीम की अहम भूमिका
इस मुश्किल और पुराने मामले को सुलझाने में स्थानीय प्रशासन की टीम ने बेहद सराहनीय काम किया. इसमें मुख्य रूप से जसवंतपुरा के तसीलदार नीरज कुमारी,भू-अभिलेख निरीक्षक अमीन खां और पटवारी दिलखुश मीणा शामिल थे.
50 सालों बाद मिली असली पहचान
50 साल बाद मिली असली पहचान के बाद रणजीत खां और उनके परिजनों ने भावुक होकर प्रशासन का आभार जताया. उन्होंने कहा कि पिछले 50 सालों से हम कागजों की भूल के कारण अपनी पहचान खो चुके थे. अब सही जाति दर्ज होने से हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो गया है.