Gair Mela 2025: राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड के भाखर क्षेत्र के उपलागढ़ के गैर मेले में हजारों लोग शामिल होने पहुंचे. धूलंडी के दूसरे और आखिरी दिन आयोजित होने वाले उपलागढ़ गैर मेले में प्रस्तुति देने वाले उपलागढ़ गांव के ही कलाकारों ने अलग-अलग तरीकों से प्रस्तुतियां दी. आदिवासी समाज पूरी तैयारी के साथ अपनी वेशभूषा में ढोल के साथ गैर मेला स्थल पहुंचा. जहां भाखर बाबा की प्रतिमाओं के सामने आशीर्वाद लेकर के फिर ढ़ोल वादन की ध्वनि के साथ अपनी प्रस्तुतियां प्रस्तुत करते रहें.
ससुराल से पीहर पहुंचती है गांव की नवविवाहिताएं
उपलागढ़ की गैर आदिवासी गरासिया समुदाय का प्रसिद्ध मेला गैर है, जो वर्षों से धुलंडी के दूसरे दिन आयोजित होती है. इस वार्षिक आयोजन पर गांव की विवाहिताएं ससुराल से पीहर पहुंचती हैं, अपने परिवार के साथ गैर स्थल पर पहुंचकर बाबा की प्रतिमाओं के सामने प्रसाद आदि भेंटकर आशीर्वाद प्राप्ति के बाद हैरतअंगेज कार्यक्रमों को देखने का मनभावन आनंद लेती हैं.
ढोल वादन की धुन को निहारती है हजारों आंखें
गैर मेले के सभी लाजवाब कार्यक्रम ढोल की धुन पर ही प्रस्तुत किए जाते हैं, लेकिन कार्यक्रमों के लय और ताल के अनुरूप ढोल बजाने की शैली ढोल वादक द्वारा परिवर्तित की जाती है. जिस प्रकार ढोल वादक द्वारा बाबा ढोल की भाषा में ढोल बजाए जाने पर केवल बाबा ही नृत्य करते हैं, और उसके बाद वादक द्वारा रायण ढोल की भाषा बजाई जाने पर वे आदिवासी लोक कलाकार जिनके हाथों में तलवार और महिलाओं की वेशभूषा धारण किए होते हैं, केवल वे ही अपना प्रदर्शन उस ढोल की ध्वनि अनुरूप करते हैं.
ज्वारा नृत्य में पुरुष आगे ढोल बजाकर नृत्य करते हुए बढ़ते हैं तो युवतियां पीछे-पीछे ज्वारा लेकर नृत्य के साथ परिधि में आगे बढ़ती है. बाकी दूसरे कई स्थानीय आदिवासी लोक कलाकार की प्रस्तुतियों में ढोल वादन की शैली अनुरूप कलाकार लाजवाब प्रदर्शन करते हैं.
गैर कमेटी ने संभाला मोर्चा, कानून व्यवस्था में पुलिस व्यवस्थाएं माकूल
गैर के सफल आयोजन में गांव की स्थानीय कमेटी ने अलग-अलग जिम्मेदारियां लेकर गैर में आने वाले लोगों को सुविधाएं प्रदान की, पुलिस ने कानून व्यवस्था के तौर पर तैनात रहे.
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