Rajasthan: डमी कैंडिडेट बनकर NEET एग्जाम दिया, दोस्त को जोधपुर AIIMS में एडमिशन दिलाया; 5 साल बाद SOG ने भरतपुर से किया गिरफ्तार

डमी कैंडिडेट बनने वाला अजीत गोरा भरतपुर मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा था, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है.

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भरतपुर से SOG ने अजीत गोरा को गिरफ्तार कर लिया है. (फाइल फोटो)

Rajasthan News: भरतपुर के श्री जगन्नाथ पहाड़ी मेडिकल कॉलेज से जुड़े NEET 2020 परीक्षा घोटाले में जयपुर पुलिस ने एक और बड़ा खुलासा किया है. पुलिस ने गुरुवार रात एक डमी कैंडिडेट को गिरफ्तार किया है, जिसने दूसरे के प्रवेश पत्र पर अपना फोटो लगाकर परीक्षा दी थी. आरोपी का नाम अजीत गोरा है, जो 2019 बैच का स्टूडेंट है और वर्तमान में इंटर्न डॉक्टर है. 

एग्जाम में 700 में से 667 नंबर आए 

जयपुर पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि चौमूं जिले के मीरा की ढाणी कचौलिया में रहने वाले सचिन गौरा ने अपने कस्बे के युवक अजीत गौरा का फोटो लगाकर आवेदन किया था. अजीत ने पुलिस को बताया कि उसने 700 में से 667 अंक प्राप्त किए थे, जिसके बाद सचिन को MBBS की पढ़ाई के लिए जोधपुर एम्स में एडमिशन मिल गया था. 

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भरतपुर से अजीत गोरा गिरफ्तार

इस गड़बड़ी के बारे में कचौलिया कस्बे के निवासी भीमराव ने जयपुर SOG को शिकायत दी थी, जिसे चौमूं थाने में 15 मई को दर्ज किया गया था. इसकी जांच जयपुर पश्चिम सहायक पुलिस आयुक्त अशोक चौहान कर रहे हैं. जोधपुर एम्स में पढ़ाई कर रहे सचिन की गिरफ्तारी के बाद जयपुर पुलिस गुरुवार को भरतपुर पहुंची, जहां अजीत गौरा को भरतपुर पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल जयपुर पुलिस दोनों स्टूडेंट से पूछताछ कर रही है.

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पहले भी पकड़े जा चुके हैं दो छात्र

इससे पहले भी सीबीआई ने भरतपुर स्थित जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज से दो छात्रों को गिरफ्तार किया था, जो डमी कैंडिडेट बनकर नीट की परीक्षा दे रहे थे. इनमें जोधपुर निवासी कुमार मंगल और दौसा निवासी दीपेंद्र कुमार शामिल थे.

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आरोपी को सजा दिलाने की तैयारी

भरतपुर के मेडिकल कॉलेज से जुड़ा NEET परीक्षा घोटाला एक बड़ा मामला है, जिसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं. जयपुर पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और आरोपी को सजा दिलाने की तैयारी कर रही है. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है. पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस घोटाले में और कौन-कौन लोग शामिल हैं. इस मामले ने मेडिकल शिक्षा की प्रवेश प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह मामला दिखाता है कि कैसे कुछ लोग अपनी मेहनत से नहीं, बल्कि धोखाधड़ी से मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं.

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