कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी Songline प्रदर्शनी, आस्ट्रेलिया के आदिवासी की बताती कहानी

ऑस्ट्रेलियाई हाई कमीशन, राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर और लिटरेचर फेस्टिवल के साझेदारी से ये प्रदर्शनी जयपुर में लगी है. 

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जयपुर: 'Songlines' नाम से ऑस्ट्रेलिया से जयपुर आयी एक मल्टी मीडिया प्रदर्शनी कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चूका है. अब तक हज़ार से ज़्यादा लोगों ने इस प्रदर्शनी को देखा है. इसके अंदर बैठ के और यहाँ की आवाज़ें और गीत सुन कर ऐसा लगता है कि कोई प्रकृति का सुन्दर नज़ारा हो. प्रद्रशनी शान्ति और प्रकृति के रंगों का एहसास करवाती है. मुंबई, नई दिल्ली , बैंगलोर और कोलकत्ता में सफल आयोजन के बाद ये प्रदर्शनी जयपुर में फरवरी महीने के अंत तक चलेगी. 

ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी अतीत पर आधारित प्रदर्शनी

ये प्रदर्शनी ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी अतीत पर आधारित है और इसमें आदिवासी गीत और कथा महिलाओं के माध्यम से बताई गई है. प्रदर्शनी अपने आप में अनोखी है, क्योंकि इसमें मल्टीमीडिया प्रोजेक्शन्स, रौशनी और ध्वनि के ज़रिये दर्शकों को ऑस्ट्रेलिया के प्राकृतिक नज़रों से वाकिफ कराया जाता है. 

प्रदर्शनी देखने से होता शांति का अहसास

इस प्रदर्शनी को देखने आये एक दर्शक विनय ने कहा, " इसमें शांति का एहसास होता है, ये लाइट का शो है, म्यूजिक है, बहुत अच्छा लगता है, जैसे आप कहीं अलग हो. बहार की दुनिया से अलग,  जब आप रंग देखते हो तो ख़ुशी का एहसास होता है." एक अन्य दर्शक ने कहा, "हम इंजीनियरिंग के स्टूडेंट है, हमारे रोज़मरा की ज़िन्दगी में स्ट्रेस रहता है तो ये प्रदर्शनी में कुछ देर बैठ के शान्ति का एहसास होता है." 

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राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के प्रोग्राम डायरेक्टर रक्षत हूजा ने बताया कि ये एक ट्रैवेलिंग प्रदर्शनी है. ये उनके सबसे पुराने निवासियों की कहानी है, कैसे वो ऑस्ट्रेलिया आये. कैसे यहाँ बसे और किन कठिनायों का उन्होंने सामना किया. जैसे भारत में भी मौखिक परंपरा में इतिहास की कहानिया छिपी हुई हैं. वैसे ऑस्ट्रेलिया में भी है और इसलिए इस इसका नाम नाम सांग लाइन है." 

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2017 में ऑस्ट्रेलिया में विकसित हुई ये प्रदर्शनी

इस प्रदर्शनी को ऑस्ट्रलिया में 2017 में विकसित किया गया था और इसमें 100  से अधिक कलाकारों का प्रतिनिधित्व है. इसकी कहानी सात बहनों के माध्यम से बताई गई है, लेकिन ये ऑस्ट्रेलिया की आदिवासी अतीत की कहानी है, जिसमें सुर हैं, गीत हैं, रंग हैं और प्रकृति के अलग अंदाज़ और आवाज़ हैं, लेकिन सब कुछ मल्टी मीडिया के द्वारा प्रोजेक्टर्स के माध्यम से दीवारों पे एक पिक्चर की तरह प्रकाशित होता है.