कलेक्टर से गुहार लगाने के 24 घंटे बाद घग्घर नदी का बांध टूटा, किसानों की हजारों बीघा फसलें बर्बाद; श्रीगंगानगर में मचा हाहाकार

श्रीगंगानगर में घग्घर नदी का बांध टूट गया, जिससे हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो गईं. किसानों का आरोप है कि उन्होंने एक दिन पहले ही कलेक्टर से मदद मांगी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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श्रीगंगानगर: घग्घर नदी के बांध में आया 50 फीट का कटाव, 600 बीघा फसलें डूबीं; किसानों की आंखों के सामने बर्बाद हुई मेहनत

Rajasthan News: राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में घग्घर नदी के बढ़ते जलस्तर ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. एक दिन पहले ही कलेक्टर के सामने अपनी फसलों को बचाने की गुहार लगाने वाले किसानों की आंखों के सामने आज उनकी मेहनत बर्बाद हो गई है. शनिवार सुबह, अनूपगढ़ के गांव 35 एपीडी में घग्घर नदी के बांध में अचानक करीब 50 फीट चौड़ा कटाव आ गया, जिससे सैकड़ों बीघा में खड़ी नरमे (कपास) और धान की फसलें डूब गईं. किसानों ने बताया कि पिछले 36 घंटों में इस क्षेत्र में बांध टूटने से लगभग 3500 बीघा फसलें खराब हो चुकी हैं. अपनी फसलों को पानी में डूबते देख किसान बेबस नजर आ रहे हैं, क्योंकि पानी का बहाव इतना तेज है कि वे कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं.

कलेक्टर को बताया था खतरा, मिला था सिर्फ आश्वासन

शुक्रवार को जिला कलेक्टर डॉ. मंजू ने अनूपगढ़ क्षेत्र में घग्घर नदी से प्रभावित इलाकों का दौरा किया था. उस दौरान गांव 28 ए और 35 एपीडी के किसानों ने उनसे मुलाकात की और हाथ जोड़कर गुहार लगाई कि बांध बहुत कमजोर हो चुका है और कभी भी टूट सकता है. उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि अगर ऐसा होता है तो उनकी पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी. किसान कश्मीर कम्बोज ने बताया कि कलेक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि प्रशासन उनकी मदद करेगा और फसलों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा. लेकिन किसानों का आरोप है कि इस आश्वासन के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और आज सुबह करीब 8:30 बजे वही हुआ जिसका डर था. बांध टूट गया और लगभग 600 बीघा फसलें पानी में डूब गईं.

टूटे बांध की मरम्मत करना मुश्किल

मौके पर स्थिति बेहद गंभीर है. कटाव वाले स्थान पर पानी का बहाव 5 से 6 फीट की गहराई तक है. पानी के तेज बहाव और अधिक गहराई के कारण न तो कोई संसाधन वहां पहुंच पा रहा है और न ही किसान खुद ही बांध की मरम्मत कर पा रहे हैं. किसानों ने स्थानीय प्रशासन को सूचना दे दी है, लेकिन जब तक पानी का बहाव कम नहीं होता, फसलों को बचाना लगभग असंभव है. यह घटना प्राकृतिक आपदा से ज्यादा सरकारी अनदेखी का परिणाम लग रही है, जहां किसानों की बार-बार की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया गया. अपनी आंखों के सामने अपनी पूरी फसल को बर्बाद होते देख किसानों में गहरा रोष और निराशा है.

(Reporter & Written By - Deepak Agarwal)

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