Students Union: रविंद्र भाटी के समर्थन में उतरे कांग्रेस विधायक, दोनों विधायक ने सरकार से की ये मांग

Rajasthan Politics: राजस्थान के छात्र राजनीति से निकले नेता अब छात्र संघ चुनाव को लेकर लामबंद होने लगे हैं. शिव से विधायक ने रविंद्र सिंह भाटी और शाहपुरा से कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने राजस्थान में छात्र संघ चुनाव करवाने की मांग की है. 

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Rajasthan Politics: निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी और कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने छात्र संघ चुनाव की मांग की है. निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि छात्र संघ चुनाव होने बेहद ज़रूरी है. छात्र संघ चुनाव की वजह से ही हम जैसे युवा आज प्रदेश की राजनीति में आम आदमी की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए.  राजस्थान विश्वविद्यालय में लाठीचार्ज जैसे कदम निंदनीय है. युवाओं की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता. 

कांग्रेस विधायक ने छात्र संघ चुनाव कराने की मांग की  

कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने कहा कि लिंगदोह कमेटी की सिफ़ारिशों के अनुरूप प्रदेश में छात्र संघ चुनाव करवाए जाते रहे हैं. पहले 2006 से लेकर 2010 के बीच छात्र संघ चुनाव स्थगित किए गए थे. 2021 और 2022 में भी छात्र संघ चुनाव कोरोना महामारी की वजह से नहीं हुए थे.

2023 में विश्वविद्यालयों के कुलपति और शिक्षाविदों ने छात्र संघ चुनाव नहीं करवाने का आग्रह किया था. लेकिन, वर्तमान में से सत्र अभी प्रारंभ हुआ है. महाविद्यालयों में विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है. सरकार ने सदन में जवाब दिया है कि सभी तथ्यों को मद्देनज़र रखते हुए छात्र संघ चुनाव करवाने की मंशा रखती है इस संबंध में सरकार को जल्द फ़ैसला करना चाहिए. 

कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने छात्र संघ चुनाव कराने की मांग की है.

रविंद्र सिंह भाटी बोले- रोजगार में स्थानीय युवाओं को वरीयता मिले

शिव विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने राजस्थान विधानसभा में सगन प्रस्ताव के ज़रिए राजस्थान सरकार से रोज़गार में स्थानीय युवाओं को वरीयता देने का क़ानून लाने की मांग की है. रविंद्र सिंह भाटी ने कहा पश्चिमी राजस्थान लंबे समय से अभावग्रस्त रहा है. पिछड़ा इलाक़ा है, वहां पर सोलर और रिफ़ाइनरी जैसे सेक्टर तेज़ी से विकसित हो रहे हैं. लेकिन, स्थानीय युवाओं की रोज़गार में भागीदारी से उतनी नहीं है, जितनी होनी चाहिए. 

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राजस्थान सरकार को कर्नाटक और हरियाणा सरकार की तर्ज़ पर ऐसा बिल लाना चाहिए, जिससे रोज़गार में स्थानीय युवाओं का पहला हक़ हो और उनकी अनिवार्यता भागीदारी भी तय की जा सके.