Rajasthan JNVU: राजस्थान के बड़े यूनिवर्सिटी में से एक प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU) सालों से शिक्षकों की कमी झेल रहा है. इस वजह से यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. JNVU में साल 2013 में 154 पदों पर शिक्षक भर्ती हुई थी. लेकिन अब एक दशक बाद भी यूनिवर्सिटी में किसी शिक्षक की भर्ती नहीं हुई है. जबकि यहां 481 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं. जबकि वर्तमान में 181 शिक्षक ही कार्यरत हैं. आपको बता दें यूनिवर्सिटी में जोधपुर जिले सहित विभिन्न जिलों के 18 से 20 हजार नियमित विद्यार्थी अध्ययन करते हैं. यूनिवर्सिटी में कई ऐसे विभाग है जिसमें एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है. पूरा विभाग गेस्ट फैकल्टी के भरोसे संचालित हो रहा है. वहीं हर साल यूनिवर्सिटी से करीब 10 से 15 शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं. अब तो लगातार शिक्षकों की कमी से छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.
JNVU सबसे पुराने यूनिवर्सिटी में जाना जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर वर्तमान में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कई बड़े दिक्कत राजनेता व न्यायिक क्षेत्र से जुड़े देश की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से लेकर कई उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी इसी विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी रह चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद यूनिवर्सिटी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इससे जहां यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा घट रही है बल्कि छात्र के भविष्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है. कई सरकारे आईं और चली गई लेकिन भर्ती पर कोई काम नहीं किया गया.
वर्ष 2018 में मात्र 5 शिक्षकों के पद पर भर्ती हुई
एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए व्यास विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के अध्यक्ष व सिंडिकेट सदस्य प्रोफेसर खरताराम पटेल ने बताया कि यह बात सही है कि वर्तमान में जन गण विकास विश्वविद्यालय की स्थिति की बात करें तो 481 स्वीकृत पदों में से मात्र 181 पदों पर ही शिक्षक कार्य कर रहे हैं. जिसमें करीब 300 के करीब पद रिक्त हैं और इसके अलावा प्रतिवर्ष 10 से 15 शिक्षक की सेवानिवृत हो रहे हैं. यहां आखिरी भर्ती वर्ष 2013 में 154 पदों पर हुई थी. इसके बाद वर्ष 2018 में मात्र 5 शिक्षकों के पद पर भर्ती हुई. वर्तमान में विश्वविद्यालय की स्थिति में कई ऐसे विभाग भी हैं जिसमें एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं है जिसमें मुख्यतः गृह विज्ञान विभाग, लोक प्रशासन विभाग वह पत्रकारिता विभाग जिसमें आज के समय में एक भी शिक्षक नहीं हैं.
वर्ष के अंत तक शिक्षकों की भर्ती करने के प्रयास
शिक्षक संघ के पदाधिकारी के रूप में लगातार कई कुलपतियों से भी हम यह मांग करते रहे हैं कि आप शिक्षकों की भर्ती करिए. क्योंकि विश्वविद्यालय एक ऑटोनॉमस बॉडी है तो राज्य सरकार की स्वीकृति के बिना शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाती और कई बार रोस्टर के मामले में तो कभी लेट लतीफी के मामले में भर्ती नहीं हो पाती. क्योंकि जो रोस्टर विश्वविद्यालय बनता है उसको राज्य सरकार से अनुमोदित करने की आवश्यक होती है, यह भी भर्ती में देरी का एक बड़ा कारण है और शिक्षक संघ भी यह मांग करता रहा है कि विश्वविद्यालय में जल्द शिक्षकों की भर्ती हो. जिससे यहां के न सिर्फ नियमित विद्यार्थी बल्कि शोध करने वाले शोधार्थियों उनके शोध करने में सहूलियत मिल सके और कुलपति ने भी इस बात पर सहमति दी है कि इस वर्ष के अंत तक शिक्षकों की भर्ती करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य व शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर पटेल ने बताया, कई बार देखा जाता है कि कुलपति भर्ती को लेकर निर्णय भी नहीं ले पाते. वह केवल और केवल अपने कुलपति के रूप में कार्यकाल निकालते हैं और भर्ती प्रक्रिया को लेकर उनका इंट्रेस्ट भी नहीं दिखते. हमें बताया गया कि इस वर्ष के अंत तक होने वाली शिक्षकों की भर्ती में संभव तत्वों से अधिक पद निकाले जाएंगे जिसकी राज्य सरकार से भी स्वीकृति मिल चुकी है तो निश्चित रूप से अगर यह भर्ती होती है तो शिक्षकों की कट रही संख्या से भी निजात मिलेगा और विद्यार्थियों को आ रही अध्ययन संबंधी दिक्कतें भी दूर होगी.