HeatWave: भारत-पाक बॉर्डर पर 55 डिग्री पहुंचा तापमान, BSF के जवान ने रेत पर बनाया ऑमलेट

Rajasthan Heatwave: जैसलमेर में शहर का तापमान 48- 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. जैसलमेर से लगती भारत-पाकिस्तान की सीमा पर 55-56 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंच चुका है. बीएसएफ के जवान रेत पर ऑमलेट बना डाला.

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Rajasthan Heatwave: भारत-पाक सीमा पर जैसलमेर में  BSF के  जवान 55-56 डिग्री सेल्सियस तापमान में बॉर्डर पर डटे हैं. जैसलमेर से लगती 471 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा सरहद पर रेतीले इलाके में रेत मानो आग का दरिया बन गई है. जवान अपने देश की रक्षा में बॉर्डर पर डटे हैं. 

टेंपरेचर मीटर भी काम करना बंद कर दिया 

भारत-पाकिस्तान सीमा पर डटे BSF के जवान 55 डिग्री सेल्सियस तापमान में ड्यूटी कर रहे हैं. 55 डिग्री सेल्सियस के बाद तो टेंपरेचर मीटर ने भी काम करना बंद कर दिया. BSF की महिला जवान अपने पुरुष साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी कर रही हैं. आंखों पर गॉगल्स, सिर पर पटका और कंधे पर रायफल लिए दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए हैं. 

भारत-पाक सीमा पर 55 डिग्री सेल्सियस तापमान में ड्यूटी करतीं बीएसएफ की महिला जवान.

सरहद पर पहरा दे रहे BSF के जवान 

BSF के जवान फौलाद बनकर बुलंद हौसलों से सरहद पर पहरा दे रहे हैं. तपिश ऐसी कि 10 मिनट ठहर जाएं तो मानो पूरा बदन पिघल जाएगा. राजस्थान फ्रंटियर बीएसएफ के आईजी मुकुंद देउस्कर ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं उस फोर्स का हिस्सा हूं, जो देश की सीमा की रक्षा के लिए रिकॉर्ड तोड़ गर्मी में भी ड्यूटी को अपना कर्तव्य मानकर डटे हुए हैं.

भारत-सीमा पर गर्मी इतनी की गाड़ी के बोनट पर बीएसएफ के जवान ने पापड़ सेक दिया.

जवानों को नींबू-पानी दिया जा रहा 

बीएसएफ के डीआईजी का कहना है कि गर्मी से बचाव के लिए जवानों को नींबू पानी,पांच लीटर पानी की बोतल, ठंडी जैकेट, प्याज उपलब्ध कराने के साथ ही दो-दो घंटे में ड्यूटी बदली जाती है.  गश्त के लिए ऊंट के स्थान पर डेजर्ट स्कूटर का उपयोग अधिक किया जाता है, जिससे जवानों के साथ ऊंटों को कुछ राहत मिल सके. वॉच टॉवर पर झोंपे बनाए गए हैं. इनमें गर्मी कम लगती है. 

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बीएसएफ के जवान रेत पर पापड़ सेकते.

झौपोंं पर पानी का किया जाता है छिड़काव 

बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार वॉच टॉवर लोहे की चद्दर के बने हुए होने के कारण जल्द ही गर्म हो जाते हैं. ऐसे में इन पर देशी तकनीक से झोंपे (झोपड़ी) नुमा आकृति बना दी गई है.  इन झौंपों पर लगातार पानी से छिड़काव किया जाता है. इनके अंदर मिट्टी के मटकों में पानी रखा जाता है. अधिकांश चौकियों पर कूल रूम बनाए गए हैं, जिनमें बड़े-बड़े कूलर लगाए गए हैं.