जोधपुर में अस्थि कलश से भर चुके हैं श्मशान घाट, जानें वजह

जोधपुर में श्मशान घाट अस्थि कलश से भर चुके हैं. श्मशान घाट में अस्थि कलश रखने की अब जगह कम बची है. इन अस्थि कलशों का हरिद्वार में विसर्जन होना है.

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Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर में श्मशान घाट अस्थि कलश से भर चुके हैं. श्मशान घाट में अस्थि कलश रखने की अब जगह कम बची है. इसकी वजह ये हैं कि जोधपुर से हरिद्वार जाने वाली बस और ट्रेन दोनों इन दिनों बंद है. इस वजह से अस्थि कलश श्मशान घाट में रखे गए हैं. इन अस्थि कलश को हरिद्वार में विसर्जित किया जाना है. लेकिन हरिद्वार जाने के साधन नहीं होने से यह यहां जमा किये जा रहे हैं. जोधपुर से न तो ट्रेन जा रही है और न ही रोडवेज बस जा रही.

कोरोना में शुरू हुई थी मोक्ष कलश योजना

जहां रोडवेज बसों की कमी से कई स्थानों के लिए सीधी बस सेवा नहीं होने से जनता परेशान है, तो वही हरिद्वार तक जाने वाली मोक्ष कलश योजना पिछले 3 महीने से बंद है. पिछली सरकार की ओर से कोरोना काल में मोक्ष कलश योजना के तहत निशुल्क रोडवेज बस सेवा शुरू की गई थी. जबकि कोरोना की दूसरी लहर में भी यह सेवा जारी थी. लेकिन अब वर्तमान में हरिद्वार के लिए कोई भी बस नहीं चल रही है. रोडवेज प्रबंधन का कहना है कि मुख्यालय से नई बसें मिलने पर हरिद्वार के लिए चलाई जाएगी. जिसके बाद यह योजना क्रियान्वित होगी.

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हालांकि सरकारी कागजों में मोक्ष कलश योजना चालू है. लेकिन पिछले 3 महीने से बस बंद होने के कारण से लोग हरिद्वार में अस्थि विसर्जन के लिए नहीं जा पा रहे हैं. पिछली सरकार ने हरिद्वार में अस्थि विसर्जन को लेकर यह योजना शुरू की थी. और इसमें निशुल्क यात्री जाते थे.

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मोक्ष कलश यात्रा के लिए विशेष रूप से होता है टिकट बुकिंग

मोक्ष कलश यात्रा के लिए टिकट बुक करने के लिए मृतक के परिजन को अलग-अलग कर तरह की जानकारियां पेश करनी होती है. जिसमें मृत व्यक्ति का पूरा विवरण मृत्यु दिनांक यात्रा के लिए परिवार के सदस्यों का नाम उम्र लिंग आधार जन आधार  मोबाइल नंबर की जानकारी देना अनिवार्य है. और यात्रा के दौरान भी यह दस्तावेज लोगों को अपने साथ रखने होते हैं

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वहीं दूसरी तरफ हरिद्वार के लिए जाने वाली एकमात्र ट्रेन है वह भी पिछले 25 दिनों से भटिंडा तक ही जा रही है. किसान आंदोलन के चलते बाड़मेर ऋषिकेश ट्रेन बठिंडा से आगे जा ही नहीं पा रही है. इसके चलते कई परिजन इन दिनों  अपने पूर्वजों की अस्थियां हरिद्वार में विसर्जन नहीं कर पा रहे हैं. इसके चलते कई समाज के श्मशानों के लॉकर अस्थियों से भरने लगे हैं. हालांकि कुछ परिजन दिल्ली के रास्ते या फिर बठिंडा से अन्य साधनों से हरिद्वार पहुंच रहे हैं. लेकिन उन्हें  कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसान आंदोलन की अनिश्चितता के चलते रेलवे प्रशासन भी रुक-रुक कर ट्रेन के रद्द होने की तिथि बढ़ा रहा है.

15 दिनों में डेढ़ हजार टिकट हो चुके हैं कैंसिल

वहीं जोधपुर से वाया दिल्ली होकर हरिद्वार के लिए अलग से ट्रेन का प्रस्ताव पिछले 8 माह से रेलवे बोर्ड के पास विचाराधीन है लेकिन रेलवे बोर्ड इस पर कोई फैसला नहीं ले पा रहा है. वहीं पिछले 15 दिनों से एक से डेढ़ हजार टिकट लोगों ने कैंसिल करवा ली, तो  रेलवे ने भी यात्री भार की कमी को देखते हुए दो कोच हटा दिए हैं. पहले 17 कोच की ट्रेन जाती थी लेकिन अब 15 कोच तक सीमित कर दिया है.

हालांकि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रेलवे मंत्री से बातचीत कर इस समस्या का समाधान करने की बात की है. लेकिन देखना यह है कि इस समस्या का समाधान कब तक निकल पाता है और कब मृत लोगों  की अस्थियां हरिद्वार में विसर्जित हो पाती है यह कहना मुश्किल है.

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