Amit Shah: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी आजादी के 100 साल पूरे होने तक दुनिया में हर क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर पहुंचने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना भारत ने सबसे पहले दुनिया में दी. शाह राजस्थान के सिरोही जिले के आबू रोड में ब्रह्माकुमारीज संस्था द्वारा ‘सुरक्षा बलों के कर्मियों के लिए आंतरिक जागृति के माध्यम से आत्म-सशक्तीकरण' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संवाद को संबोधित कर रहे थे. शाह ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
शाह ने कहा, हमारा देश आज विश्व में पांचवें नंबर का अर्थतंत्र बन गया है. और मुझे पूरा विश्वास है कि कुछ ही साल में हम तीसरे नंबर का अर्थतंत्र बनेंगे. आजादी की शताब्दी तक हम विश्व में हर क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने का लक्ष्य लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय परंपराओं में पूरी दुनिया को विश्व बंधुत्व की भावना की ओर ले जाने की क्षमता है.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, हर मानव के अंदर की आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने की शक्ति हमारी परंपराओं में है. और हर जीवन को सद्बुद्धि की राह पर ले जाने की शक्ति भी हमारी परंपराओं में है. ब्रह्माकुमारीज जैसी संस्थाएं इसके लिए बहुत अच्छा काम कर रही हैं.
सुरक्षाकर्मियों के तप और बलिदान से हम सुरक्षित
सशस्त्र बलों के सुरक्षाकर्मियों के योगदान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, उन्हीं के त्याग, तप और बलिदान के कारण आज हम सुरक्षित हैं. वे अपने जीवन का स्वर्णकाल देकर शून्य से नीचे 46 डिग्री सेल्सियस तापमान से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तापमान में हमारी सीमाओं की सुरक्षा करते हैं. तभी हम सुरक्षित हैं. शाह ने कहा कि सभी राज्यों की पुलिस कानून-व्यवस्था की परिस्थिति संभालकर हर निर्बल को संरक्षण देने का काम करती हैं, परंतु यह काम एक प्रकार से ढेर सारा तनाव पैदा करने वाला है.
उन्होंने कहा, नींद की कमी, पानी की कमी, शांत मन की कमी, सतत हिंसा करने वालों से जूझना... ये सारी चीजें व्यक्ति के मन पर एक विशिष्ट प्रकार का असर छोड़ती है. शाह ने कहा, उस असर से हमारे सुरक्षाकर्मियों को बाहर लाकर उनके मन, आत्मा व उनके शरीर के लिए शांति का मार्ग प्रशस्त करना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है.'' उन्होंने इस दिशा में ब्रह्माकुमारीज संस्था के प्रयासों व योगदान की सराहना की.
उन्होंने कहा कि योग और आध्यात्म से मन, शरीर, बुद्धि व आत्मा इन सबको एक रूप कर ज्ञान से प्रगति के रास्ते पर जाने के लिए और चिंतन से समस्याओं के निवारण के लिए नीतियों का सृजन करना, भारत की बहुत पुरानी परंपरा है. हम इस परंपरा को आज भी समग्र विश्व में पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, वसुधैव कुटुम्बकम की भावना भारत ने सबसे पहले विश्व में दी और जब पूरे विश्व में लोग गुफाओं में रहते थे तब ‘पूरा विश्व मेरा परिवार है' हमारे उपनिषद की इस ऋचा ने समूचे विश्व को हमारा परिवार बनाया.
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