कभी बूंदी की शान रहीं ऐतिहासिक नवल सागर और जैत सागर झीलें, बदरंग और कचरे के ढ़ेर में बदल रही हैं

बूंदी नगर परिषद् द्वारा झील की घोर उपेक्षा की जा रही है और इस झील को भुला दिया गया है. इसकी देखरेख पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस कारण आज ये ऐतिहासिक झीले बदसूरत होती जा रही है.

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बदरंग होती झील
BUNDI:

पर्यटन नगरी बूंदी का पहचान दो बेहद खूबसूरत झील इन दिनों कचरा पात्र बन गयी हैं. रियासत काल में 400 वर्ष पहले बूंदी के राजाओं ने इस ऐतिहासिक झील का निर्माण करवाया था. बूंदी आने वाले विदेशी पर्यटक भी इस झील को निहारने आते हैं. यह झील बूंदी के प्रवेश मार्ग में स्थित है. ऐतिहासिक नगरी बूंदी की पहचान प्रसिद्ध नवल सागर झील (Nawal Sagar Lake) जैत सागर झील है, जो अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है. रियासत काल की यह झील कभी बूंदी की शान हुआ करती थी. लेकिन आज झील बदरंग, दलदल बन कर रह गई है. पूरी झील कचरे का ढेर बनी हुई है. लोगों ने झीलों को कचरा पात्र बना दिया है, जिससे गंदगी कीचड़ और बदबू मारता पानी और मच्छर इस झील की पहचान बन चुके हैं.

नगर परिषद की अनदेखी से बर्बाद होती झीलें 

बूंदी नगर परिषद द्वारा झील की घोर उपेक्षा की जा रही है और इस झील को भुला दिया गया है. इसकी देखरेख पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस कारण आज ये ऐतिहासिक झीलें बदसूरत होती जा रही हैं. लंबे समय से शहर का कचरा यहां डाला जा रहा है और शहर की सीवर लाइनों का गन्दा पानी भी इसी झील में डाला जाता है. हमने इस झील के हालात देखे बहुत बुरे हाल देखने को मिले. झील में जो नाले आकर गिरते हैं, वो गन्दगी से अटे पड़े हैं. उनमें भयंकर गंदगी जमा हो रही है. कई महीनो से इन नालों की सफाई नहीं हुई है. पूरी झील में पानी में तैरती गन्दगी नजर आती है. इस गन्दगी की वजह से झील के आस-पास दुर्गन्ध का माहौल बना रहता है. मेडिकल वेस्टेज कचरा भी झील में डाल दिया जाता है. झील में इस बार बरसात नहीं होने से पानी सड़ांध मारने लगा है.

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कचरे के ढ़ेर में तब्दील होती झील

जैता मीणा के नाम पर रखा गया जेतसागर झील का नाम 

इतिहासकार अश्विनी शर्मा ने बताया कि जैता मीणा के नाम से इस झील का नाम जैतसागर रखा गया. फिर जेतसागर झील को खूबसूरत बनाने में महाराव सूरजमल की माताजी जयवती का योगदान रहा. उन्होंने झील के किनारे 1568 ईस्वी में पक्की दीवार बना कर खूबसूरत बनाया. महाराव उम्मेद सिंह जी जब पूरे भारत में भ्रमण पर निकले तो उन्होंने कई कलाओं को देखने के बाद इन झीलों के अंदर भी विकास कार्य करवाए.

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राव राजा उमेद सिंह ने राखी थी नवल सागर झील

वहीं 1700 शताब्दी में राव राजा उमेद सिंह जी ने गढ़ पैलेस के सामने नवल सागर झील की नींव रखी, जिसमें गढ़ पैलेस का प्रतिबिंब पानी में नजर आने लगा, जिसे नौलखा झील भी कहा गया. यहां पर शिव मंदिर का भी निर्माण करवाया गया. इन झीलों में स्थापत्य, मूर्ति शिल्प, बनावट, ढलान लिए सीढ़ियों की संरचना देखते ही बनती है. सीढ़ियों के मध्य भाग में बना आकर्षक तोरण द्वार खास आकर्षण है. तोरण द्वार पर हाथियों का शिल्पांकन कमाल है. तोरण द्वार से नीचे आगे चलने पर दीवारों में दशावतार, नवगृह, सरस्वती और सिद्धि विनायक गणेश की प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं. दीवारों पर बनी चार छतरियां भी शिल्पकला का सुंदर नमूना है. इतिहासकार अश्वनी शर्मा ने बताया कि आज इन ऐतिहासिक झीलों का स्वरूप ख़त्म होता जा रहा है. जिस प्रकार से उदयपुर, माउंट आबू, कोटा, अजमेर में जो शहर के बीचो-बीच झील हैं वैसे ही झील बूंदी में भी हैं, लेकिन लोकल प्रशासन की देखरेख के चलते यह बदहाल हो चुकी है, अगर विकसित किया जाए तो बूंदी की पर्यटन में चार चांद लगेंगे.

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कभी साफ़ हुआ करता था झीलों का पानी 

बूंदी शहर के जागरुक व्यक्ति शुभम गोयल ने बताया कि ऐतिहासिक जैतसागर और नवल सागर झील बदहाल स्थिति में है. ऐतिहासिक जैत सागर झील प्राकृतिक झील है, पूरी झील में पिछले कुछ सालों से कमल जड़ों ने कब्जा कर लिया है.कभी झील का पानी बिल्कुल साफ हुआ करता था, लेकिन आज कमल जड़ों के कारण कीचड़ का रूप ले चुका है. झील कभी बड़ी ही सुंदर हुआ करती थी, लेकिन नगर परिषद और प्रशासन की उदासीनता के चलते आज झील दलदल बन कर रह गई है. इस झील के किनारे धोबी घाट बन गए हैं.

लोग दिन भर यहां कपड़े धोते रहते हैं. किसी समय पर्यटन विभाग ने झील के किनारों पर सुंदर रेलिंग लगाई थी और सुंदर लाइट भी लगाई, महंगी लाइट झील का आकर्षण केंद्र रही थी, पर्यटन विभाग, नगर परिषद की लापरवाही इस तरह की रही कि इनमें से कई लाइटें कबाड़ में तब्दील चुकी हैं और कुछ लाइट बंद हो चुकी है. झील के किनारे बना रैम्प भी टूटा फूटा और बदहाल हो रहा है. रैम्प पर लगे फर्श की टाइलें असामाजिक तत्व उखाड़कर ले गए. पूरा फर्श जगह-जगह से टूट चूका है. 

सभापति बोलीं जल्द होंगे विकास कार्य 

झील की दुर्दशा के मामले पर जिम्मेदार विभाग बूंदी नगर परिषद् के सभापति मधु नुवाल से NDTV ने सवाल-जवाब किये तो उन्होंने अपनी सफाई देते हुए बताया की जल्द ही झील में गिरने वाले नालों को अलग पाईप लाइन से जोड़कर झील से अलग कर दिया जाएगा. नगर परिषद ने नवलसागर झील को लेकर करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए जाएंगे. जिसमें पार्क निर्माण, फाउंटेन, नौकायन घाटों का नया निर्माण, नवलसागर झील को पूरी तरह से खाली करवाया जाएगा और उसकी जमीन की खुदाई करवा कर फर्श का निर्माण करवाया जाएगा ताकि लंबे समय तक पानी टिक रहे चार बोरिंग करवाए जाएंगे ताकि पानी का स्तर बरकरार रहे.

जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं वहां विशाल मंच बनाया जाएगा. हमने डीपीआर बनवा ली है. सरकार की ओर से स्वीकृति जारी हो गई है. जल्द इसका निर्माण करवाया जाएगा. इसी प्रकार जैतसागर झील में कमलजोड़ों की साफ-सफाई करवाने, लाइट लगवाने का कार्य भी जल्द से जल्द करवा कर बूंदी के पर्यटन को चार चांद लगवाए जाएंगे. लेकिन अब सवाल खड़ा होता है कि यह कार्य कब होगा वो भी नहीं बता पाए.

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