UR Sahu: नए RPSC चेयरमैन UR साहू की राह नहीं आसान, संस्था की साख लौटाना चुनौती; जीतना होगा युवाओं का भरोसा 

RPSC: साहू के सामने आरपीएससी के काम काज में पारदर्शिता लाना पहली प्राथमिकता होगी. पेपर लीक और निष्पक्षता पर उठते सवालों को पूरी तरह से समाप्त करना उनके सामने एक बड़ी चुनौती है.

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New RPSC Chairman: लंबे समय के बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग को नया प्रशासक मिल गया है. पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू को आयोग का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब आयोग की साख लगातार आलोचनाओं और विवादों के घेरे में रही है.

पिछले कुछ वर्षों में RPSC की परीक्षाओं में पेपर लीक, अयोग्यता पर चयन, और सिफारिशों के आरोपों ने इस संवैधानिक संस्था की छवि पर सवाल खड़े किए हैं. ऐसे में यु.आर. साहू जैसे अनुशासित और भ्रष्टाचार-विरोधी छवि वाले अधिकारी से बड़ी उम्मीदें की जा रही हैं.

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साहू के सामने क्या हैं चुनौतियाँ?

साहू के सामने आरपीएससी के काम काज में पारदर्शिता लाना पहली प्राथमिकता होगी. पेपर लीक और निष्पक्षता पर उठते सवालों को पूरी तरह से समाप्त करना उनके सामने एक बड़ी चुनौती है. भर्तियों में राजनैतिक/प्रशासनिक हस्तक्षेप की शिकायतें लगातार आती रही हैं. RPSC में परीक्षा से लेकर परिणाम तक की प्रक्रिया में तकनीकी सुधार और डिजिटलीकरण की जरूरत है ताकि हर कदम रिकॉर्ड और ट्रेसेबल हो. उनके सामने सबसे बड़ी परीक्षा यह होगी कि राजस्थान का युवा वर्ग फिर से RPSC पर भरोसा करे.

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पूर्व DGP यू.आर. साहू की प्रशासनिक यात्रा 

1988 बैच के राजस्थान कैडर के IPS अधिकारी साहू ने तीन दशक से भी अधिक समय तक पुलिस सेवा में बेदाग और सख्त प्रशासक की छवि कायम रखी है. उत्कल रंजन साहू का जन्म 20 जून 1964 को ओडिशा में हुआ. भारतीय पुलिस सेवा में उनका चयन 1988 बैच में हुआ और उन्हें राजस्थान कैडर आवंटित किया गया. साहू ने अपनी सेवा की शुरुआत ASP जोधपुर के रूप में करने के बाद बाड़मेर, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा और श्रीगंगानगर समेत कुल 8 जिलों में SP के रूप में कार्य किया. उन्होंने वर्ष 2014 से 2018 तक राजस्थान इंटेलिजेंस ब्यूरो का नेतृत्व किया.

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 2020 से 2023 तक होमगार्ड्स के महानिदेशक के रूप में सेवाएं दीं. 30 दिसंबर 2023 को उमेश मिश्रा के VRS के बाद प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस प्रमुख बने. 10 फरवरी 2024 को दो वर्ष के लिए स्थायी पुलिस महानिदेशक नियुक्त किए गए. DGP रहते उन्होंने साइबर अपराध नियंत्रण, महिला अपराधों पर सख्त कार्रवाई, गैंगस्टर गतिविधियों पर शिकंजा, NDPS कानून के तहत मादक पदार्थों पर कड़ा रुख और समुदाय आधारित पुलिसिंग को बढ़ावा दिया.

संवेदनशील अधिकारी के तौर पर पहचाने जाते हैं साहू

यू.आर. साहू एक सख्त लेकिन संवेदनशील अधिकारी के तौर पर पहचाने जाते हैं. ईमानदार और नीतिगत दृष्टिकोण के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पष्ट रुख और पारदर्शी नीतियों के पक्षधर रहे हैं. पुलिस बल में जवाबदेही और कार्य-निष्ठा को प्राथमिकता दी.जन जनता, मीडिया और समाजिक संगठनों से संवाद कायम कर समस्याओं के समाधान में विश्वास रखा. 2005 में जोधपुर SP रहते हुए उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक मिला. 2016 में ADG इंटेलिजेंस के उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक मिला. 

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राजस्थान पुलिस की सेवा में यू.आर. साहू ने अनुशासन, निष्ठा और पारदर्शिता का जो मानक स्थापित किया, वही अब उन्हें RPSC जैसे संवेदनशील और विवादग्रस्त आयोग का नेतृत्व सौंपे जाने का आधार बना. अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि क्या साहू आयोग की साख और युवाओं का भरोसा फिर से बहाल कर पाएंगे.

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