Rajasthan Politics: अंता विधानसभा में बिछ गई सियासी बिसात, माली, मीणा और SC वोट तय करेंगे जीत की बाज़ी

भाजपा ने मोरपाल सुमन के ज़रिए स्थानीय और माली दोनों समीकरणों को साधने का प्रयास किया है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नरेश मीणा दोनों ही दलों के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति में हैं.

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मोरपाल सुमन, प्रमोद जैन भाया और नरेश मीणा

Anta By Election 2025: बारां ज़िले की अंता विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. यहाँ सियासी बिसात त्रिकोणीय बन गई है. भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार तीनों अपने-अपने सामाजिक समीकरण साधने में जुटे हैं. जातिगत गणित इस चुनाव की असली कुंजी बन चुका है. अंता विधानसभा में करीब 2.25 लाख मतदाता हैं. इनमें माली समाज के लगभग 40 हजार, अनुसूचित जाति के 35 हजार और मीणा समुदाय के 30 हजार मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इसके अलावा धाकड़, ब्राह्मण, बनिया और राजपूत समाज के वोट भी हैं. 

जातीय खींचतान मुकाबले की दिशा तय करेगी

इस क्षेत्र में माली समाज बहुल है लेकिन अकेले उनके वोट से जीत आसान नहीं. माली और मीणा वोट जिस तरफ़ एकजुट होते हैं उसी दल की जीत तय होती है. भाजपा को परंपरागत रूप से माली और शहरी वोटों का समर्थन मिलता रहा है जबकि कांग्रेस मीणा और एससी समुदाय पर भरोसा करती आई है. पूर्व विधायक प्रमोद जैन भाया एक बार फिर मैदान में हैं.  इस बार दोनों दलों के बीच यही जातीय खींचतान मुकाबले की दिशा तय करेगी.

नरेश मीणा दोनों ही दलों के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे 

भाजपा ने मोरपाल सुमन के ज़रिए स्थानीय और माली दोनों समीकरणों को साधने का प्रयास किया है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नरेश मीणा दोनों ही दलों के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति में हैं.

अंता में चुनाव हमेशा जातीय संतुलन और उम्मीदवार की व्यक्तिगत पकड़ पर टिका रहा है. मुद्दे बिजली, पानी, सड़क और स्थानीय रोजगार हर बार चर्चा में रहते हैं लेकिन वोटिंग के वक्त जातिगत जोड़-घटाव ही बाज़ी पलट देता है. इस बार भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. सियासी बिसात बिछ चुकी है, मोहरे सज चुके हैं, अब देखना यह है कि जनता आख़िरी क्या चाल चलती है.

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