रेगिस्तानी जहाज ऊंट के नाम हुआ साल 2024, सयुंक्त राष्ट्र ने इस साल को अंतरराष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष घोषित किया

राजस्थान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की तादाद 1990 में 30 लाख के करीब थी. लेकिन लगातार यह संख्या लगातार कम होती रही. सरकार ने इसे राज्य पशु घोषित किया. लेकिन हालात जस के तस बने हुए है. पिछले एक दशक में ऊंटों की संख्या में करीब 35 फीसदी की कमी आई है, जो 3.26 लाख से घटकर 2.14 लाख से भी कम हो गई है. 

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संयुक्त राष्ट्र ने साल 2024 को रेगिस्तानी जहाज ऊंट के नाम किया है. UNO ने 2024 को अंतररार्ष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष घोषित किया गया है. ताकि ऊंटों का संरक्षण किया जा सके. लेकिन आज भी ऊंट उपेक्षाओं का दंश झेल रहे है. दुनिया भर में ऊंट की जनसंख्या की बात करें तो भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है. भारत में सबसे ज्यादा ऊंट राजस्थान में है. 2014 में राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु घोषित किया था. लेकिन ऊंट संरक्षण व संवर्धन के लिए कोई विशेष प्रयास नही हो रहे.

राजस्थान में हैं 35 - 40 हजार ऊंट 

राजस्थान में 2 लाख 14 हजार ही ऊंट बचे हैं. वास्तविकता तो यह है कि ऊंटों के लिए बनी कल्याणकारी योजनाएं कागजों में दम तोड़ती रही. उसे संरक्षण के लिए काम करने वाले पार्थ जगाणी बताते है कि ऊंट को राज्य पशु घोषित करने कर बाद न तो ऊंट को बिकने दिया जा रहा है और न ही मार्केटिंग के अभाव में ऊंटनी का दूध बिक रहा. ऊंटनी का दूध से बनने वाले प्रोडेक्ट के लिए भी कोई योजना नही है. ऊंटों के मेले में अभी राज्य में केवल पुष्कर मेले पर ही सरकार ध्यान दे रही है.जैसलमेर में तो ऊंट मेला ही नहीं हो रहा, जबकि यहां 35 - 40 हजार के करीब ऊंट है.

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गोशाला की तर्ज पर ऊंटशाला खोलने की मांग 

ऊंट पालको का कहना है कि राज्य में ऊंटनी के प्रसव पर अभी 10 हजार रुपए राज्य सरकार दे रही है. इसके आलावा कोई सरकार योजना भी संचालित नही की जा रही है. प्रजनन योजना में दिए जाने वाले अनुदान की किश्तें भी समय पर नहीं मिलती है. अभी से बाड़मेर-जैसलमेर- बीकानेर जिले में जहां सर्वाधिक ऊंट गधरी है वहां गोशाला की तर्ज पर ऊंटशाला ऊंट खोली जाए.

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पिछले 10 में 35 प्रतिशत गिरावट 

राजस्थान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की तादाद 1990 में 30 लाख के करीब थी. लेकिन लगातार यह संख्या लगातार कम होती रही. सरकार ने इसे राज्य पशु घोषित किया. लेकिन हालात जस के तस बने हुए है. पिछले एक दशक में ऊंटों की संख्या में करीब 35 फीसदी की कमी आई है, जो 3.26 लाख से घटकर 2.14 लाख से भी कम हो गई है. 

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