चतुष्कोणीय हुआ सवाई माधोपुर सीट का मुकाबला, आशा के बाद अब आज़ाद भी मैदान में, किसका खेल बिगड़ेगा ?

सवाई माधोपुर विधानसभा सीट महत्वपूर्ण रही है. पुराने ट्रेंड बताते हैं कि यहां से जिस पार्टी का विधायक बनता है अक्सर प्रदेश में उसी दल की सरकार बनती है.

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इस बार सवाई माधोपुर विधानसभा सीट पर कड़ा मुक़ाबला देखने को मिल सकता है

Sawai Madhopur Seat: प्रदेश में विधानसभा चुनाव के महज 13 दिन बचे हैं. ऐसे में सभी दल अपने प्रचार को तेज कर रहे हैं. कहीं राजनैतिक दलों से नाराज़ बागियों को मना लिया गया है, और कहीं बागी अभी भी मैदान में हैं. पूर्वी राजस्थान की महत्वपूर्ण सीट सवाई माधोपुर में भाजपा और कांग्रेस से बागी हुए प्रत्याशी दोनों दलों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. 

आशा मीणा भारतीय जनता पार्टी से बगावत कर मैदान में हैं. वो टिकट की दावेदारी कर रहीं थीं , लेकिन भाजपा ने राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को मैदान में उतार दिया. वहीं कांग्रेस ने वर्तमान विधायक दानिश अबरार को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है. जिसके बाद कांग्रेस से बागी डॉक्टर अज़ीज़ आज़ाद ने भी चुनावी ताल ठोक दी है.

हालांकि प्रचार के दौरान एक चुनावी सभा में आज़ाद ने खुद को टिकट का उम्मीदवार नहीं बताया बल्कि उनका कहना है कि वो ' कांग्रेस विधायक दानिश अबरार की 'तानाशाही' के खिलाफ मैदान में हैं ". डॉक्टर आज़ाद 2008 से 2013 तक कांग्रेस से विधायक रहे अलाउद्दीन आज़ाद के बेटे हैं.

भाजपा का कैसे बिगड़ सकता है खेल 

आशा मीणा को भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था. लेकिन वो कांग्रेस के दानिश अबरार से हार गईं थीं. इस बार पार्टी ने उनका टिकट काटकर किरोड़़ी लाल मीणा को टिकट दिया है. किरोड़़ी लाल मीणा सवाई माधोपुर सीट से एक बार विधायक रहे हैं. 2003 के विधानसभा चुनाव में किरोड़ी ने दानिश अबरार की मां यास्मीन अबरार को हराया था. उसके बाद किरोड़ी ने बीजेपी छोड़ कर एक बार निर्दलीय और एक बार राजपा से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि किरोड़ी इस क्षेत्र में किरोड़ी लाल मीणा की अच्छी पकड़ मानी जाती है.

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आशा मीणा के मैदान में आने से मीणा वोटरों का बंटवारा हो सकता है, जिसका फायदा कांग्रेस उम्मीदवार को हो सकता है. इसके अलावा आशा सवाई माधोपुर की ही रहने वाली हैं जबकि किरोड़ी दौसा के हैं, ऐसे में आशा मीणा बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा भी अपने चुनावी सभाओं में उठा रही हैं. 

कांग्रेस की मुश्किलें भी कम नहीं 

वहीं कांग्रेस ने वर्तमान विधायक दानिश अबरार को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है. जिसके बाद कांग्रेस से बागी डॉक्टर अज़ीज़ आज़ाद ने भी चुनावी ताल ठोक दी है. अज़ीज़ के पिता अलाउद्दीन आज़ाद विधायक रहे हैं. अज़ीज़ हालांकि टिकट के उम्मीदवार नहीं थे, लेकिन वो अपनी चुनावी सभाओं में कांग्रेस विधायक पर भ्रष्टाचार और अपने विरोधियों के खिलाफ पुलिस का दुरूपयोग करने का आरोप लगा रहे हैं. 

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आज़ाद के मैदान में आने से मुस्लिम मतदाताओं का बंटवारा तय है. वहीं गुर्जर भी दानिश अबरार से नाराज़ नज़र आते हैं. उसकी वजह सचिन पायलट का साथ न देना है. मालूम हो कि अबरार को पायलट खेमे का माना जाता था, लेकिन पायलट की ' बगावत' के समय अबरार ने CM गहलोत का साथ दिया था. अभी तक पायलट उनके प्रचार के लिए नहीं आए हैं. 

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