रामगढ़ टाइगर रिजर्व में गूंजी बाघिन PN-224 की दहाड़, राजस्थान के लिए मील का पत्थर साबित होगा यह कदम

एनक्लोजर से बाहर निकलते समय बाघिन ने किसी भी प्रकार की घबराहट नहीं दिखाई और विचरण करते हुए जंगल की ओर बढ़ गई. वन विभाग के मुताबिक, यह संकेत है कि बाघिन ने नए वातावरण को स्वीकार कर लिया है

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Bundi News: राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है. मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व से लाई गई बाघिन PN-224 को 5 दिन के निगरानी काल के बाद खुले जंगल में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया. रविवार अल सुबह ठीक 3 बजकर 36 मिनट पर बाघिन PN-224 स्वयं एनक्लोजर से बाहर निकली और रामगढ़ विषधारी के घने जंगल में प्रवेश कर गई. बाघिन PN-224 की दहाड़ रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में गूंजी. इस घटना को बाघ संरक्षण के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है.

बाघिन की गतिविधियों पर पैनी नजर

यह पूरी प्रक्रिया नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के तय प्रोटोकॉल के तहत हुई. रिलीज के बाद बाघिन की रेडियो टेलीमेट्री के माध्यम से 24×7 निगरानी की जा रही है. वन विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड पर है, ताकि बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और मानव–वन्यजीव संघर्ष की आशंका को न्यूनतम रखा जा सके.

PN-224 का व्यवहार पूरी तरह सामान्य- वन विभाग

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, "बाघिन का व्यवहार पूरी तरह सामान्य, स्वस्थ और आत्मनिर्भर स्वभाव को दर्शाता है. एनक्लोजर से बाहर निकलते समय बाघिन ने किसी भी प्रकार की घबराहट नहीं दिखाई और विचरण करते हुए जंगल की ओर बढ़ गई. यह संकेत है कि बाघिन ने नए वातावरण को स्वीकार कर लिया है और वह अपने लिए उपयुक्त टेरिटरी तलाशने में सक्षम है." 

मील का पत्थर साबित होगा यह कदम

यह बाघिन अंतर-राज्य बाघ पुनर्स्थापन कार्यक्रम के अंतर्गत मध्यप्रदेश से राजस्थान लाई गई है. PN-224 के जंगल में उतरने के साथ ही रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में अब कुल 8 बाघ, बाघिन और शावक हो गए हैं, जिनमें 5 फीमेल, 2 मेल और एक मेल शावक शामिल हैं. वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघिन PN-224 को नए क्षेत्र में अपनी टेरिटरी स्थापित करने में कुछ समय लगेगा. अनुकूल परिस्थितियों और सतत निगरानी के चलते यह कदम राजस्थान में बाघ संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

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