Ramgarh Tiger Reserve: राजस्थान के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभयारण्य में एक बाघिन का कंकाल मिला. कंकाल अभयारण्य के बांद्रा पोल घने जंगल में मिला. सूचना पर वन विभाग अधिकारी मौके पर पहुंचे और जांच पड़ताल कर कंकाल को कब्जे में लिया. बताया जा रहा है कि बाघिन का 15 दिनों से रेडियो कॉलर से संपर्क नहीं हो पा रहा था. वन विभाग के टीम लगातार बाघिन को खोजने में लगी हुई थी. टीम को सुबह सूचना मिली कि एक रेडियो कॉलर बांद्रा पोल जंगल के बीच में पड़ा हुआ है. इस सूचना पर टीम ने बांद्रा पोल जंगल में सर्च अभियान चलाया तो बाघिन का कंकाल मिला.
15 दिन पहले टूट गया था संपर्क
बाघिन की मौत कैसे हुई, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा. हाल में ही बाघिन को बूंदी रामगढ़ अभयारण्य में शिफ्ट किया गया था, जिससे दो शावक हुए हैं. इन दोनों शावकों में से एक शावक वन विभाग की ट्रैकिंग में है, जबकि दूसरे दूसरे शावक की अभी तक ट्रैकिंग नहीं हो सकी है. अब टाइगर रिजर्व में दो शावक के साथ एक बाघ और बाघिन रह गई है. डीएफओ संजीव शर्मा ने बताया कि 15 दिन पहले रामगढ़ अभयारण्य के जंगलों में RVT 2 बाघिन का संपर्क टूट गया था. इस पर हमने जिन जगहों पर बाघिन का मूवमेंट रहता था, वहां पर 50 ट्रैकिंग कैमरा को लगाया.
जंगल में रेडियो कॉलर डिवाइस बंद
बाघिन अभयारण्य के बांद्रा पल जंगल में अधिकतर विचरण करती थी. यह जंगल घना और बिना नेटवर्क वाला होने के चलते ट्रैकिंग करना मुश्किल हो रहा था. हमने टीम लगाकर 7 किलोमीटर एरिया को खंगाला तो हमारे कर्मचारियों को टाइग्रेस की रेडियो कॉलर डिवाइस जंगल में पड़ी हुई मिली. जाकर देखा तो बाघिन का कंकाल मिला था. कंकाल पर कोई चोट के निशान नहीं थे. वहीं शिकार जैसी स्थिति भी नहीं मिल रही थी. ऐसे में नेचुरल डेट ही हम मान रहे हैं. फिर भी उच्च अधिकारियों को मौके पर बुलाकर कोटा, बूंदी की मेडिकल टीम से पोस्टमार्टम करवा कर जांच शुरू कर दी है.
बूंदी डीएफओ के मुताबिक, अमूमन जब किसी बाघ-बाघिन का शिकार होता है तो शिकारी दांत, नाखून सहित अन्य चीजों की तस्करी करते हैं. लेकिन जिस बाघिन की मौत हुई है. उसे बाघिन के साथ ऐसा कुछ भी घठित नहीं हुआ है. हमारी टीम ने सभी को सुरक्षित कब्जे में लिया है, जिसमें बाघिन के पूरे नाखून, बाल, दांत हैं. ऐसे में बाघिन की नेचुरल मौत की संभावना जताई जा रही है.