India Independence Day 2024: भारत में हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराएंगे. आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे, जहां 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने से दो साल पहले ही यानी 1945 में आजादी का तिरंगा झंडा फहरा दिया गया था. इतना ही नहीं उस समय जेल में बंद कैदियों को भी छोड़ दिया गया. हालांकि, बाद में पता चला कि आजादी की यह खबर सिर्फ हल्ला है.
धनावा चौक पर फहराया गया था तिरंगा
कहानी राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की है, जहां पर आजादी मिलने से दो साल पहले ही 1945 में शहर के तत्कालीन धनावा चौक पर (अब आज़ाद चौक) तिरंगा लहरा गया था. आजादी मिलने के दो साल पहले उस समय हल्ला मचा था कि देश आजाद हो गया है. आजादी की खबर सुनने के साथ ही क्रांतिकारी धनावा बाजार पहुंचे और चौक पर तिरंगा लहरा दिया. अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए शहर के 91 साल के शिक्षाविद् कमलाशंकर व्यास बताते हैं कि तब उनका बचपना था, वे करीब 14 साल के थे. उन्होंने भी उस दिन देश आजाद होने का हल्ला सुना था. सभी लोग इकट्ठे हुए और सीधे धनावा में पहुंच गए.
जेल से छूठे कैदी पहुंच गए थे आजाद चौक
उत्साहित क्रांतिकारियों ने तब तिरंगा लहरा दिया था. ये दृश्य 1945 में उन्होंने अपनी आंखों से देखा था. उन्होंने बताया कि उम्र के साथ उनकी याददाश्त प्रभावित हुई है. इसलिए उन्हें ध्वजारोहण वाली तारीख और समय तो याद नहीं है, लेकिन वर्ष अच्छे से याद है. आजादी की हवा क्रांतिकारियों तक ही नहीं पहुंची थी. बल्कि अंग्रेजी शासन में रहे जेलर को भी जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने सभी कैदियों को रिहा कर दिया था. जेल से छूटे कैदी भी सीधे आजाद चौक पहुंच गए थे.
कमलाशंकर आगे बताते हैं कि ध्वजारोहण के मौके पर तब क्रांतिकारयों ने आपस में एक-दूसरे का मुंह भी मीठा कराया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें पता चला कि अंग्रेजी हुकूमत ने आजादी वाले किसी प्रस्ताव पर चर्चा की थी, नाकि देश आजाद हुआ. आजादी के बाद बांसवाड़ा के तत्कालीन राजा पृथ्वीसिंह ने 16 लोगों के साथ इसी आजाद चौक पर राष्ट्रगान गाया था. उस समय के क्रांतिकारी और बाद में राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे हरिदेव जोशी ने खांदू गांव में 15 अगस्त 1947 को रैली निकालने के बाद तिरंगा लहराया था.
4 साल तक आजाद चौक पर फहराया जाता था तिरंगा
धनावा बाजार आजादी के समय बड़ा बाजार हुआ करता था. इसी के चौक पर क्रांतिकारियों की बैठकें होती थीं और सभी विचारधारा वाले लोग यहां बैठकर आजादी की लड़ाई का तानाबाना बुनते थे. इसी जगह से लोगों को संबोधित करते थे. पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से लेकर अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का अड्डा था.
पहली बार तिरंगा लहराने के कारण इस धनावा चौक का नाम आजाद चौक पड़ा था. कलेक्टर कार्यालय के सेवानिवृत्त ऑफिस सुपरिटेंडेंट हरीश गृहस्थी ने बताया कि देश की आजादी के बाद पहले चार साल तक आजाद चौक में ही तिरंगा लहराने की परंपरा थी. इसके बाद 15 अगस्त 1951 को पहली बार कुशलबाग में स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत हुई थी. तबसे से इसी कुशलबाग में जिला स्तरीय समारोह होता है.
यह भी पढ़ें- तनोट मंदिर पहुंचे CM भजनलाल शर्मा, सीमा पर BSF जवानों ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर