Rajasthan Politics: भारत बंद और SC-ST आरक्षण पर आमने-सामने आये किरोड़ी लाल मीणा और राजकुमार रोत 

Bharat Bandh: राजकुमार रोत ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को 'भाई -भाई से लड़ाने वाला बताया है'. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,'फूट डालो और राज करो की मानसिकता वाली नीति से सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम जजों द्वारा ST- SC आरक्षित समाज को आपस में लड़ाने के फैसले का हम विरोध करते हैं.

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Bharat Bandh: सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC-ST आरक्षण में क्रिमीलेयर और उपवर्गीकरण करने के फैसले के खिलाफ पूरे देश में आज SC-ST समुदाय ने भारत बंद का ऐलान किया है. यह बंद कई दलित और आदिवासी संगठनों ने क्रीमीलेयर के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुलाया है. दलित और आदिवासी संगठनों के भारत बंद को कई राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन हासिल है.

इस मामले पर राजस्थान के दो आदिवासी नेता आमने-सामने हो गए हैं. भारत आदिवासी पार्टी से बांसवाड़ा के सांसद राजकुमार रोत ने जहां बंद का समर्थन किया है वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता किरोड़ी लाल मीणा ने बंद को 'बेतुका' बताया है.  

भाई -भाई को लड़ाने वाला है सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

राजकुमार रोत ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को 'भाई -भाई से लड़ाने वाला बताया है'. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,'फूट डालो और राज करो की मानसिकता वाली नीति से सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम जजों द्वारा ST- SC आरक्षित समाज को आपस में लड़ाने के फैसले का हम विरोध करते हैं.

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रोत ने आगे लिखा, हर राज्य में ST-SC समुदाय की अलग-अलग परिस्थिति है, इस स्थिति में सरकारे सच में ST-SC समुदाय का भला चाहती है तो राज्य में गैर अनुसूचित क्षेत्र, अनुसूचित क्षेत्र एवं रेगिस्तान ट्राइबल क्षेत्र के हिसाब से ST-SC के  वंचित परिवारों को लाभ दे सकती है, लेकीन ऐसा नहीं करके उप जाति एवं आर्थिक आधार पर बांटकर भाई-भाई को लड़ाने का प्रयास किया गया है.

किरोड़ी बोले- मैं मैं सुप्रीम कोर्ट की भावना के साथ हूं

वहीं दूसरी और भारतीय जनता के नेता किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि क्रीमीलेयर पर मैं सुप्रीम कोर्ट की भावना के साथ हूं. उन्होंने कहा कि इसलिए साथ हूं.  मेरे गांव में एक व्यक्ति 30 साल पहाड़ खोदकर मजदूरी करके पेट पाल रहा है. उसके बेटे भी उसी घर में पढ़े. मैं डॉक्टर भी बन गया. मेरा भाई IRS और IAS भी बन गया. मैं मंत्री भी बन गया. लेकिन, वो अभी तक नहीं बन पाया. 

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क्यों बुलाया भारत बंद?

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले दिनों एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि सभी SC-ST जातियां और जनजातियां समान वर्ग नहीं हैं. कई जातियां ज्यादा पिछड़ी हो सकती हैं. अदालत ने कोटे के अंदर कोटे की बात कही थी . हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही इसका विरोध शुरू हो गया था.